छतरपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ पिछले दिनों आसमान से बरसी आफत का दर्द गांवों में मातम भरे सन्नाटे के रूप में पसरा हुआ है। रबी की फसल और सब्जी की पौध से किसान तबाह हो गए हैं। उजड़े खेत दिखाकर किसान रो-रोकर व्यथा सुना रहे हैं कि साहब कुछ नहीं बचा अब परिवार का पेट कैसे पालेंगे। दूसरी ओर राजस्व और कृषि विभाग की टीमें नुकसान का आकलन करने में जुटी हैं।
पिछले दिनों लगातार 72 घंटे तक रुक-रुक कर बारिश और ओलावृष्टि से फसल के साथ कई घरों को क्षति पहुंची है। पशु- पक्षियों की मौत भी हुई है। ग्राम पनौठा में अपने बर्बाद खेत दिखाते हुए देशराज पाल ने बताया कि उसने 8 एकड़ जमीन में सरसों और गेहूं बोया था, पूरी फसल फूल पर थी, जो आपदा में बर्बाद हो गई है। दुलीचंद पटेल ने बताया उसने 4 एकड़ में चना, मटर, सरसों की बुवाई की थी, ओलों ने पूरी फसल चौपट कर दी है। बारिश के कारण खेत तालाब बन गए हैं और सारी फसल जमीन पर बिछ गई है। इस बरसात ने हमारी सभी फसलों यहां तक कि साग-सब्जी को भी बर्बाद कर दिया है। इसी तरह सिमरिया के ही रामवतार, मिठाईलाल, दरबारीलाल, गुवंदी, गुमना, हरवल सिंह, मातादीन, रमलू ने भी चना, मटर, मसूर, सरसों सहित सब्जी की फसल बर्बाद होने से परिवार के भूखों मरने की नौबत आने की बात कही है। किसानों ने बताया जिस फसल को जुताई, बुवाई और खाद में अपनी जमा पूंजी खर्च की वही फसल ओलों की भेंट चढ़ जाने से सब कुछ लुट गया है। किसान, परिवार की आजीविका को लेकर चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि सबकुछ खेतों में लगा दिया अब उपज नहीं मिलेगी तो परिवार का पेट पालने के लिए गांव छोड़कर मजदूरी के लिए बाहर जाना पड़ेगा। मंगलवार को बड़ी संख्या में किसान अपनी बर्बाद फसल के डंठल लेकर छतरपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे और रो-रो कर मुआवजे की मांग की। किसानों का कहना है कि सबकुछ खेतों में लगा दिया अब उपज भी नहीं मिलेगी तो परिवार का पेट पालने के लिए गांव छोड़कर मजदूरी के लिए बाहर जाना मजबूरी बन गई है। कई किसानों को फूट-फूटकर रोते देखकर अन्य लोगों के गले भर आए।
सही आकलन में 6-7 दिन लगेंगे
खेतों में भरे पानी के कारण अधिकारी नुकसान का जायजा केवल मेढ़ पर खड़े होकर ले रहे हैं। सर्वे में ड्रोन कैमरे की मदद भी ली जा रही है। देखा जाए तो जिले के छतरपुर, नौगांव, बड़ामलहरा और बिजावर विकासखंड में करीब 6 तहसीलों के एक सैकड़ा से अधिक गांवों में प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया है। इनमें बड़ामलहरा और बिजावर तहसील में सबसे अधिक गांव प्रभवित हुए हैं। जिन गांवों में आपदा ने कहर ढाया है उन गांवों में फसल की बर्बादी को लेकर मातम भरा सन्नााटा पसरा हुआ है। कई घर तो ऐसे हैं जहां चार दिन से चूल्हे भी नहीं जले हैं। किसान निराश हैं उन्हें अब सरकारी मदद से उम्मीद बंधी है। शासन और प्रशासन के सख्त रवैये के कारण आपदा प्रभावित तहसीलों का पूरा राजस्व और कृषि विभाग का आमला नुकसान के आकलन में जुटा है। अधिकारियों की मानें तो सर्वे का काम 6 से 7 दिन में जब पूरा होगा तभी नुकसान की सही स्थिति सामने आएगी। इसके आाधार पर ही मुआवजे की प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। अधिकारियों की मानें तो जिले की नौगांव, महाराजपुर, छतरपुर, बड़ामलहरा, घुवारा और बिजावर तहसीलों में 50 से 70 फीसदी तक नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान फूल पर आई सरसों और चने की फसल को हुआ है।
खेत बने तालाब, सड़ने लगी फसलें
चंदला लवकुशनगर अनुभाग में बीते चार दिनों तक बेमौसम बारिश से किसानों के खेत तालाब में तब्दील हो गए हैं। किसानों द्वारा बोई गई रबी सीजन की फसल चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी व गेहूं पानी में डूब गई, जिससे फसलें सड़ने लगी हैं। आफत बनकर टूटी बारिश से किसानों का सबकुछ छीन लिया है। बारिश थमते ही एसडीएम राकेश परमार ने चंदला क्षेत्र के छतपुरा सहित आधा दर्जन गांवों का भ्रमण कर बारिश से फसलों को हुए नुकसान जायजा लिया। नायब तहसीलदार सरवई नारायण कोरी ने ग्राम कारीमाटी, बिजासिन, कंदेला, रामपुरघाट, गोयरा, गौहानी, हरवंशपुर, अजीतपुर, दादूताल, चुरयारी सहित दो दर्जन गांवों के खेतों में पहुंचकर फसलों का जायजा लिया है। किसान मंगल सिंह, शिव सिंह, शोभा प्रजापति, छोटेलाल दुबे, रज्जन अहिरवार, बिंदा अहिरवार ने बताया कि बीते 5 सालों से खेती में वे नुकसान उठा रहे है। इस बार उनके द्वारा अच्छी उपज के लिए बाजार से महंगे दामों में मटर, चना, मसूर, सरसों का बीज खरीदकर खेतों में बोया था। बारिश से सब नष्ट हो गया है।