Shivraj government will give relief package to institutions facing financial burden these losses will be reimbursed: digi desk/BHN/भोपाल/ आर्थिक बोझ झेल रही संस्थाओं को कर्ज से उबारने के लिए शिवराज सरकार मुख्यमंत्री फसल उपार्जन योजना लागू करने जा रही है। इस योजना में संस्थाओं को क्षतिपूर्ति दिया जाएगा। दरसअल किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें उपज का समर्थन मूल्य दिलाने के लिए सरकार गेहूं, धान, मूंग से लेकर अन्य फसल की खरीद करती है लेकिन खरीद करने वाली एजेंसियां कर्ज के बोझ से दबी जा रही हैं। नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य सहकारी विपणन संघ की देनदारी 73 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। किसानों को भुगतान करने के लिए एजेंसियां भारतीय रिजर्व बैंक से ऋण लेती हैं।
केंद्र सरकार सेंट्रल पूल में जब उपज ले लेती है तो फिर उसका भुगतान होता है। इसमें तीन-चार साल लगते हैं। इस दौरान भंडारण, सूखत, परिवहन, मजदूरी, बारदाना सहित कुछ अन्य नुकसान होते हैं, जिनकी प्रतिपूर्ति नहीं होती है। उपार्जन व्यवस्था प्रभावित न हो और किसानों के हित सुरक्षित रहें, इसके लिए शिवराज सरकार मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना लागू करने जा रही है। इसमें प्रति वर्ष तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान रहेगा, जिससे एजेंसियों की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
इस कारण पड़ी जरूरत
प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ होने के बाद खेती के क्षेत्र में वृद्धि हुई है। उत्पादन बढ़ने के कारण किसानों में समर्थन मूल्य पर उपज बेचने की प्रवृत्ति बढ़ी है। वर्ष 2008-09 में गेहंू 15 लाख 70 हजार टन खरीदा गया था, वो 2020-21 में 129 लाख टन से अधिक हो गया है। इसी तरह धान 2008-09 में दो लाख 35 हजार टन खरीदा गया, जो 2020-21 में 37 लाख 29 हजार टन हो गया। इसी तरह दो-तीन साल में दलहल और तिलहन का उपार्जन 15.27 लाख से बढ़कर 24.30 लाख टन हो गया।
मिलिंग की पुख्ता व्यवस्था न होने से धान को गोदाम में रखना पड़ता है, जबकि केंद्र सरकार केप में रखने की राशि प्रति क्विटल प्रतिमाह दो रुपये चालीस पैसे देती है। गोदाम में रखने पर 10 रुपये से ज्यादा खर्च आता है। सूखत भी तीन से चार प्रतिशत होता है, जबकि केंद्र सरकार एक प्रतिशत ही मान्य करती है। नागरिक आपूर्ति निगम ने वर्ष 2021-22 में दो हजार 578.13 करोड़ और राज्य सहकारी विपणन संघ ने तीन हजार 185.28 करोड़ रुपये की क्षति का दावा किया है।
इन नुकसानों की होगी प्रतिपूर्ति
- – प्राकृतिक आपदा से क्षति
- – केंद्र सरकार के आवंटन से अधिक उपार्जन में होने वाले नुकसान
- – मिलिंग के अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का भुगतान
- – सूखत, भंडारण, ब्याज, परिवहन, प्रशासकीय व्यय और मजदूरी की प्रतिपूर्ति
यह होगा फायदा
योजना से राज्य के किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए उपार्जन एजेंसियों को धनराशि उपलब्ध कराई जा सकेगी। इससे शासन पर ब्याज भार में कमी आएगी। एजेंसियों को उपार्जन में जो नुकसान होता है, उसकी पूर्ति हो सकेगी और खाद्यान्न् उपार्जन का काम बिना किसी रुकावट के चलता रहेगा।