पन्ना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले की जनपद पंचायत गुनौर क्षेत्रांतर्गत ग्राम पंचायत मझगवां सरकार में रिकार्ड में पूर्ण हो चुके कपिलधारा कूप धरातल से गायब होने के मामले में पूर्व सरपंच, सचिव व उपयंत्री को कोर्ट से सजा हुई है। बहुचर्चित मामले में दर्ज हुए 12 लाख 16 हजार रुपये का गवन किये जाने के प्रकरण में विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश पन्ना आरपी सोनकर द्वारा फैसला सुनाया गया।
मामले के तीनों आरोपियों तत्कालीन उपयंत्री आनंद कुमार त्रिपाठी पिता उमाशंकर त्रिपाठी 56 वर्ष निवासी सागर रोड छतरपुर जिला छतरपुर, सरपंच चैन राजा बुंदेला पति दशराज सिंह बुंदेला 45 वर्ष निवासी ग्राम इटौरी थाना अमानगंज जिला पन्ना व सचिव संतोष कुमार पांडे पिता बाबूलाल पांडे 48 वर्ष निवासी ग्राम इटोरी थाना अमानगंज जिला पन्ना को दोषसिध्द पाते हुए तीनों को आईपीसी की धारा 409 सहपठित 34 के अंतर्गत 10- 10 वर्ष के कठोर कारावास व 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से ,धारा 420 सहपठित 34 के अंतर्गत 5- 5 वर्ष के कठोर कारावास व 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से, धारा 467 सहपठित 34 के अंतर्गत 10- 10 वर्ष के कठोर कारावास व 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से, धारा 468 सहपठित 34 के अंतर्गत 5- 5 वर्ष के कठोर कारावास व 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से व धारा 471 सहपठित 34 के अंतर्गत 10- 10 वर्ष के कठोर कारावास व 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है।
अभियोजन की ओर से उक्त दंडादेश की जानकारी देते हुए शारदा प्रसाद सिंगरोल एडवोकेट द्वारा बताया गया कि वर्ष 2008- 09 में ग्राम पंचायत मझगवां सरकार मनरेगा की उप योजना कपिलधारा कूप निर्माण के अंतर्गत 7 हितग्राहियों को कूप स्वीकृत किए गए थे परंतु इन कूपों का स्थल पर निर्माण कार्य नहीं होने की शिकायत पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत पन्ना द्वारा जांच कराए जाने पर पाया गया कि तत्कालीन उपयंत्री सरपंच व सचिव द्वारा गवन किया गया है जिसको लेकर तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गुनौर जिला पन्ना आनंद शुक्ला द्वारा सितंबर 2011 में थाना अमानगंज में आवेदन पत्र प्रस्तुत कर उक्त तीनों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही किए जाने के लिए लेख किया गया था।
जिस पर थाना अमानगंज पुलिस द्वारा तीनों आरोपियों के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर मामले की विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। जिस मामले में विशेष न्यायालय पन्ना में हुए विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों व सक्षियों के कथनों के आधार पर न्यायालय द्वारा विचारोपरांत माना गया है कि आरोपितों द्वारा सब इंजीनियर सरपंच व पंचायत सचिव होते हुए 7 हितग्राहियों को कपिलधारा कूप निर्माण हेतु स्वीकृत कूपों का निर्माण नहीं कराया गया बल्कि कुओं का संपूर्ण निर्माण दिखाकर शासकीय राशि दस्तावेजों में कूट रचना कर व फर्जी रूप से निर्मित कूप के फोटो तैयार कर अभिलेख में संलग्न कर अवैध रूप से शासकीय राशि जो हितग्राहियों को प्रदान की जानी थी उन्हें प्रदत ना करते हुए दस्तावेजों में छल करके कूट रचना कर गवन करते हुए राशि स्वयं प्राप्त की ।
आरोपियों द्वारा शासकीय अधिकारी एवं उच्च पद पर रहते हुए शासन द्वारा हितग्राहियों को प्रदान की जाने वाली राशि उन्हें प्रदान न कर राशि का उपयोग स्वयं के लिए किया गया है जो अत्याधिक गंभीर हैं न्यायालय द्वारा इसी आधार पर उक्त दंडादेश पारित किया गया है।