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KisanProtest: सिर्फ कृषि कानून वापसी से खत्म नहीं होगा आंदोलन, महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान

Sanyukta kisan morcha announced movement not end only with withdrawal of agriculture law: digi desk/BHN//लखनऊ/प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं लेकिन, संयुक्त किसान मोर्चा इतने भर से ही आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है। लखनऊ की महापंचायत में किसानों नेताओं ने एक स्वर से आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है। उनका कहना है कि सिर्फ तीन कानून वापस लेने से आंदोलन खत्म नहीं होगा और भी ज्वलंत मुद्दे हैं उनका निस्तारण जरूरी है। इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानून बनाने की मांग सबसे अहम है।

लखनऊ स्थित ईको गार्डेन पार्क में सोमवार को आयोजित किसान महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार को अपनी भाषा में समझाने में एक साल लग गया। अब सरकार को ये समझ आया कि तीन कृषि कानून किसान, मजदूर विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन में रंग-बिरंगे झंडे लहराते रहे, जो अलग संगठनों के हैं लेकिन उन सभी की कृषि कानून के विरोध में भाषा एक थी, सिर्फ कोठी में बैठे लोगों को समझने में वक्त लगा, क्योंकि सरकार किसानों को बांटने का प्रयास करती रही।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि माफी मांगने से किसानों का भला होने वाला नहीं है, उनका भला एमएसपी कानून बनाने से होगा। इस कानून को लेकर केंद्र सरकार झूठ बोल रही है कि कमेटी बना रहे हैं, जबकि 2011 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनकी अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी कि किसानों के लिए एमएसपी लागू करें। ये रिपोर्ट पीएमओ में रखी है, उसे ही लागू कर दें। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा चुनाव में किया था, उस पर अमल नहीं हुआ। दो करोड़ नौकरियों का वादा किया और काम प्राइवेट कंपनियों को दिया जा रहा है, देश प्राइवेट सेक्टर की मंडी बनता जा रहा है।

भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने संघर्ष विराम की घोषणा की है, जबकि किसान सिर्फ तीन कानूनों की वापसी भर से मानने वाला नहीं है। आंदोलन चरणवार जारी रहेगा। टिकैत ने यह भी कहा कि गांव की सरकारी जमीनें बेची जा रही हैं, सरकार कह रही है कि मंडी के बाहर सामान बेचो, ताकि ये मंडियां भी खत्म कर दें। किसानों को हिंदू, मुस्लिम, सिख और जिन्ना के नाम पर उलझाया जा रहा है। सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की है। खाद मिल नहीं रही, गन्ने का चार हजार करोड़ रुपया बकाया है। उन्होंने कहा कि सरकार बातचीत करे तभी हल निकलेगा।

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