The relatives of more than 1000 permanent employees: digi desk/BHN/ भोपाल/ प्रदेश भर में 1000 से अधिक स्थायी कर्मियों की मौत हो चुकी है। इनके परिजनों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। यह मौतें पिछले 15 सालों में हुई है जिसके कारण अलग-अलग है। अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलने की वजह स्थायी कर्मियों को नियमित नहीं किया जाना है। पूर्व में इन्हें दैनिक वेतन भोगी के रूप में रखा गया था। साल 2016 में स्थायी कर्मी नीति बनाकर इन्हें दैनिक वेतन भोगी से स्थायी कर्मी बनाया गया है लेकिन स्थायी कर्मी नीति में अनुकंपा नियुक्ति के प्रविधान नहीं है इसलिए मृतक स्थायी कर्मियों के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ नहीं मिला है। इस बात से मृतक स्थाई कर्मियों के परिजन परेशान है। दर्जनों ने कोर्ट में केस लगा रखे हैं और कुछ के आवेदन विभागों के पास लंबित है। इसके अलावा भी स्थायी कर्मियों की दर्जनों समस्याएं हैं। प्रदेश भर में स्थायी कर्मी अलग-अलग विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। शासन से समय-समय पर सुविधा मांग चुके हैं लेकिन उनकी मांगों की भरपाई नहीं हुई है। इस वजह से कार्यरत स्थायी कर्मियों में आक्रोश बढ़ गया है।
मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस के संयोजक और कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य वीरेंद्र खोंगल का कहना है कि स्थायी कर्मी वह कड़ी है जो 20 साल पहले विभागों की मूल जरूरतों को पूरा करने के लिए कलेक्ट्रेट दर पर रखे गए थे। तब से लेकर अब तक स्थायी कर्मियों ने मैदानी स्तर पर विभागों में बहुत मेहनत की है और अभी भी कर रहे हैं। स्थायी कर्मी ज्यादातर माली, ड्राइवर, भृत्य, चौकीदार जैसे पदों पर सेवाएं दे रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग के स्थायी कर्मियों को मिल रही नियमित जैसी सुविधा
प्रदेश के लगभग 62 विभागों में स्थायी कर्मी सेवा दे रहे हैं। इनमें से केवल लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और जल संसाधन विभाग में पदस्थ स्थायी कर्मियों को नियमित की तरह सुविधाएं मिल रही है। बाकी विभागों में कार्यरत स्थाई कर्मियों की स्थिति काफी खराब है और इन्हें कुशल, अकुशल, अर्द्ध कुशल श्रेणी में रखा गया है। जिसमें 12 से 15 हजार रूपए वेतन मिल रहा है।