A sign of relief due to the activation of monsoon in MP: digi desk/BHN/भोपाल/ प्रदेश में मानसून के सक्रिय होने से सरकार ने राहत की सांस ली है। दरअसल, खरीफ फसलों की बोवनी होने के बाद बारिश नहीं होने से फसलें प्रभावित हो रही थीं। कई जगह बीज खराब हो गए तो फसलों की वृद्धि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। सरकार भी चिंता में थी। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में बोवनी रह गई है, वहां अब तेजी के साथ बोवनी होगी। धान का क्षेत्र भी बढ़ेगा क्योंकि अगस्त के दूसरे सप्ताह तक इसकी बोवनी हो सकती है।
प्रदेश में बारिश की स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होती जा रही है। करीब 15 दिन बारिश नहीं होने की वजह से बोवनी का सिलसिला थम गया था। इस बार 149 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 72 फीसद बोवनी हो चुकी है। धान सहित अन्य फसलों को बोवनी के बाद बारिश नहीं होने से बीज खराब होने लगे थे। तापमान अधिक होने की वजह से फसलें भी मुरझा रही थीं और वृद्धि भी प्रभावित हो रही थी लेकिन अब बारिश होने से स्थितियां तेजी के साथ बदल रही हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मानसून के रूठने से चिंता बढ़ गई थी।
अब उम्मीद है कि बोवनी का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। सोयाबीन की बोवनी जरूर इस बार लक्ष्य 61.64 लाख हेक्टेयर से कम रहेगी। अभी तक लगभग 45 लाख हेक्टेयर में ही बोवनी हुई है। मक्का की बोवनी 14.91 लाख हेक्टेयर में होनी थी जो लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है। बताया जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में धान की बोवनी नहीं हो पाएगी, वहां अब किसान मक्का लगाएंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यदि एक सप्ताह और मानसून सक्रिय नहीं होता तो फिर सर्वे कराकर नुकसान का आकलन कराया जाता। वहीं, राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी ऐसी स्थिति नहीं है।
सरकार को उठाना पड़ता बड़ा नुकसान
पूर्व कृषि संचालक डॉ.जीएस कौशल का कहना है कि यदि एक सप्ताह और मानसून सक्रिय नहीं होता तो किसानों के साथ सरकार को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता। किसान बोवनी नहीं कर पाते और जो फसल लग भी गई थी वो ज्यादा समय तक टिक नहीं पाती क्योंकि नमी नहीं होने से वृद्धि रुक गई थी। किसानों के पास अभी धान, मक्का सहित अन्य फसल लगाने के लिए समय है। मौसम के खुलते ही बोवनी का काम तेजी से प्रारंभ हो जाएगा।