रीवा/देवतालाब, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अति प्रचीन देवतालाब का शिव मंदिर सावन मास में भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं। सावन में प्रत्येक सोमवार को हजारों की तदाद में शिव भक्त पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर परिसर में पहुचते हैं। बताया जा रहा हैं कि देवतालाब के आसपास के लगभग एक सैकड़ा गांव के ग्रामीणों के लिए यह शिव मंदिर आस्था का सबसे बड़ा केंद्र हैं और तीज त्यौहार सहित अपनी मनोकमना पूरी करने के लिए मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ ही मुंडन, कनछेदन एवं नव वधू को दर्शन कराने के लिए लेकर पहुचतें हैं। तो वही सावन मास में मंदिर परिसर में मेला भराव होता हैं। एक माह तक मंदिर में भक्तो का भीड़ रहती हैं। जबकि सोमवार के दिन तो मानों आस्था का सैलाब उमड़ता हैं।
एक पत्थर पर स्थित हैं शिव मंदिर
देवतालाब स्थित शिव मन्दिर को लेकर वहां के निवासियों द्वारा बताया जाता है कि यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर में बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रातो-रात हुआ था और इसे स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था। देवतालाब मंदिर को लेकर बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ। ऐसा कहा जाता है कि रात को मंदिर नहीं था लेकिन सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था। यह किसी को जानकारी नहीं है की मंदिर का निर्माण किसने करवाया और कैसे हुआ।
अद्भुत शिवलिंग
स्थानिय लोगों ने बताया की मंदिर के साथ ही यहां पर अद्भुत शिवलिंग का भी उत्पत्ति हुई थी। यह शिवलिंग काफी रहस्यमयी हैं। यहां शिवलिंग दिन में चार बार रंग बदलता है । एक किदवंती है कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब में शिव के दर्शन की जिद में साधना में लीन थे और जब भगवान शिव ने भगवान विश्वकर्मा को मंदिर बनवाने के लिए आदेशित किया की वे महर्षि को दर्शन देने के लिए यहां निर्माण करवाएं। उसके बाद रातों-रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई।
आदि शक्ति का भी हैं मदिर
देवतालाब में शिव के साथ माता पार्वती का भी मंदिर स्थित हैं। दोनों ही मंदिर आमने-सामने बनें हुए हैं। विशेष अवसर पर तथा मनोकमना पूरी होने पर शिव भक्त शिव-पर्वती मंदिर में गठजोड़ करवाते हैं। मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि शिव पार्वती के गठजोड़ का अपना ही महत्व हैं।