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497 करोड़ की लागत से निर्मित 145 शैक्षणिक भवनों का लोकार्पण

कोरोना काल में अभिनव नवाचारों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में हुआ कार्यः मुख्यमंत्री श्री चौहान

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शैक्षणिक वातावरण बेहतर बनाने के लिये स्कूल भवनों का होना जरूरी है। स्कूल भवनों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले यह हमारे प्रयास है। कोरोना काल में शैक्षणिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई हैं, लेकिन सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के साथ अभिनव नवाचार करते हुए ऑनलाइन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का कार्य किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज भोपाल के मिन्टो हॉल में 497 करोड़ 70 लाख रूपये की लागत से नवनिर्मित 145 शैक्षणिक भवनों का वर्चुअल लोकार्पण कर कार्यक्रम को संबोधित किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जिन शैक्षणिक भवनों का लोकार्पण किया, उनमें आदिम-जाति कल्याण विभाग के 357 करोड़ 9 लाख रुपये लागत के 13 विशिष्ट आवासीय विद्यालयों (कन्या शिक्षा परिसर), 4 करोड़ 63 लाख रुपये के 3 छात्रावास के नवीन भवनों और स्कूल शिक्षा विभाग के 135 करोड़ 98 लाख रुपये लागत के 129 हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी शाला भवन शामिल है। इन भवनों का निर्माण आदिम जाति कल्याण विभाग एवं स्कूल शिक्षा विभाग के लिए लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया। लोकार्पण कार्यक्रम में लोकार्पित हुई सभी शैक्षणिक अधोसंरचनाएँ चुनाव अप्रभावित जिलों की हैं।

10 हजार गुणवत्तापूर्ण नये भवन बनाये जायेंगे

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आगामी 3 वर्षों में ऐसे दस हजार विशाल भवनयुक्त विद्यालयों का निर्माण किया जायेगा। जिसमें एक ही स्थान पर कई बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल कर सकें। अत्याधुनिकता से परिपूर्ण इन स्कूल परिसरों में शिक्षकों के निवास, लायब्रेरी, खेल परिसर एवं आसपास 25 से 30 कि.मी. की परिधि में रहने वाले बच्चों के लिए स्कूल आने-जाने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध रहेगी। वर्चुअल रूप से कार्यक्रम में उपस्थित प्रोटेम स्पीकर श्री रामेश्वर शर्मा ने इस कल्पना को शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के शिक्षण संस्थान से एक ही भवन में एक ही स्थान पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना संभव हो सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया सीधा संवाद

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उमरिया जिले के कन्या शिक्षा परिसर प्रांगण में उपस्थित अभिभावक  पुरूषोत्तम से नवनिर्मित भवन में उपलब्ध सुविधाओं के बारे चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कोविड काल में शिक्षा संचालन के संबंध में प्राचार्य से जानकारी ली। प्राचार्य ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में 33 प्रतिशत बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा सभी बच्चों को उनके घरों में पुस्तकें उपलब्ध करवाई गई हैं। शिक्षक भी स्टूडेंट के निरंतर सम्पर्क में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने स्कूल खोले जाने के संबंध में बताया कि परिस्थितियों को देखते हुए दीपावली के बाद स्कूल प्रारंभ किये जायेंगे।

पंचायत प्रधान ने कहा करेंगे समय-समय पर रख-रखाव

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शाजापुर जिले के शुजालपुर करवाला शाला भवन में उपस्थित पंचायत प्रधान नंदकिशोर पाटीदार से पूछा कि शाला भवन के बन जाने के बाद अब उसके रख-रखाव के लिए आपकी क्या कार्य योजना है। श्री पाटीदार ने बताया कि स्कूल भवन में 195 बच्चों के लिए पर्याप्त स्थान है। जनप्रतिनिधि के रूप में हम स्वयं समय-समय पर रख-रखाव पर निगाह रखेंगे। प्राचार्य धर्मेन्द्र यादव ने बताया कि स्कूल 2002 में हाई स्कूल था। वर्ष 2013 में हायर सेकेण्ड्री स्कूल के रूप में परिवर्तित किया गया। पर्याप्त कक्ष हैं एवं स्टॉफ रूम, टॉयलेट आदि व्यवस्थित रूप से बनाये गये हैं। अकबरपुर भोपाल के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल में जनप्रतिनिधि के रूप में उपस्थित प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने स्कूल में बच्चों को संख्या को देखते हुए स्कूल भवन में एक मंजिल और बनाए जाने का अनुरोध किया।

सुरक्षा ने कहा पटवारी बनूँगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शाजापुर जिले की मेधावी छात्रा कुमारी सुरक्षा पाटीदार से चर्चा की। उन्होंने मेधावी छात्रा के रूप में शासन द्वारा लैपटॉप के लिये उपलब्ध कराई गई राशि के संबंध में जानकारी ली। छात्रा सुरक्षा पाटीदार ने मुख्यमंत्री श्री चौहान से कहा कि शासन द्वारा जो मदद की गई है, उसे वे अपनी आगे की पढ़ाई में उपयोग करेंगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पूछा कि आगे क्या बनना चाहती हो, छात्रा सुरक्षा ने बडे़ सहज रूप से कहा कि मेरी इच्छा पटवारी बनने की है।
आदिम-जाति कल्याण विभाग के लोकार्पित होने वाले 13 कन्या शिक्षा परिसरों में जन-जातीय वर्ग के 6 हजार 370 बालिकाओं और 3 छात्रावास भवनों में 150 छात्रों को बेहतर आवासीय सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। स्कूल शिक्षा विभाग के नव-निर्मित 129 हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल 26 जिलों के अलग-अलग स्थानों पर निर्मित हैं। इन शाला भवनों के निर्माण से करीब 21 हजार विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।

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