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….क्या प्रेम चंद हिसाब किताब वाले मुंशी थे ?

पुण्यतिथि -8 अक्टूबर 1936

क्या प्रेम चंद हिसाब किताब वाले मुंशी थे ?…. अथवा किसी लाला के मुनीम या वक़ील के अभिकर्ता थे ? बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि कायस्थ होने की वजह से उनके नाम के साथ मुंशी जुड़ा क्योंकि कायस्थ बहुधा कचहरी के पेशे से जुड़े होते थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं प्रेमचंद ने हंस नामक साहित्यिक पत्रिका निकाली , जो स्वाधीनता संग्राम का भी प्रतिनिधित्व करती थी प्रेमचंद गांधीवादी तो नहीं थे पर गांधी के प्रति अस्थावान अवश्य थे गांधी जी के आह्वान पर ही उन्होंने अपनी अच्छी भली नौकरी छोड़ी थी प्रेमचंद हंस का आर्थिक सम्पादन कुशलता से न कर पाए , और हंस लड़खड़ाने लगी। मामला गांधी तक पहुंचा , और उन्होंने हंस को आर्थिक मदद देने दिलाने का जिम्मा उठाया । गांधी की ओर से एक अन्य हिंदी विद , गांधी वादी और गुजराती साहित्यकार कन्हैय्या लाल माणिक लाल मुंशी हंस के संपादकीय से जोड़े गए पत्रिका में दोनों का संयुक्त और संक्षिप्त नाम छपने लगा मुंशी – प्रेम चंद बाद को कन्हैयालाल मुंशी हंस को छोड़ चले , और हंस भी दम तोड़ गयी । पर प्रेम चंद का स्थायी नामकरण हो गया – मुंशी प्रेमचंद…

                                                                                                सीए सिंघई संजय जैन

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