Fathers Day 2021 Special:digi desk/BHN/शाजापुर/ 51 वर्षीय राजदत्त दुबे जिला अस्पताल शाजापुर में ड्रेसर हैं, वर्ष 2014 में लंबी बीमारी के बाद उनकी पत्नी प्रीति दुबे का निधन हो गया। उस समय दुबे की उम्र करीब 44 वर्ष थी। बेटा सूर्यदत्त 19 और बेटी करीब 10 साल की थी। ऐसे में उन पर ही घर की किचन से लेकर नौकरी तक का जिम्मा था। उन्होंने इस उम्र में मां और पिता दोनों की भूमिका निभाई। स्कूल जाने वाली बेटी के लिए सुबह जल्द उठकर लंच भी बनाया और बेहतर भविष्य के लिए बेटे को पढ़ाई के लिए भोपाल भेजा। बेटी अब कक्षा 11वीं में पढ़ रही है और सात माह पहले बेटे की शादी कर बहू भी घर आ गई है। दुबे कहते हैं कि अब सिर्फ बेटी के हाथ पीले करने का सपना है। पढ़ाई पूरी होते ही इस जिम्मेदारों को भी निभाना है।
दुबे बताते हैं कि पत्नी की बीमारी के कारण लंबे समय से परिवार अस्त-व्यस्त चल रहा था। शाजापुर से लेकर अहमदाबाद तक पत्नी का उपचार कराया, लेकिन तीन सितंबर 2014 को पत्नी का निधन हो गया। निधन के बाद बेटे-बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी मुझ पर ही आ गई। ऐसे में पिता के साथ का मां का फर्ज भी निभाया। 44 की उम्र में किचन संभाला तो दस साल की बेटी ने हाथ बंटाया। अभी बेटा सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहा है। सात माह पहले ही लखनऊ में बेटे का विवाह किया है। बहू आशा घर आ गई है कि तो अब चिंता और जिम्मेदारी थोड़ी कम हो गई है। अब सिर्फ बेटी का विवाह करना है, किंतु अभी वह पढ़ रही है। आज भी उस समय को याद करता हूं तो लगता है कि ईश्वर ने कठिन समय दिया तो उसी ने इस समय से आगे निकलने की शक्ति और प्रेरणा भी दी।
बेटा-बेटी बोले पापा ने सब कुछ दिया
बेटा सूर्यदत्त और बेटी प्रियंका कहती हैं कि मां के निधन के बाद घर और जीवन में सूनापन आ गया था, किंतु पापा ने हमें हिम्मत और पिता के साथ मां का भी प्यार दिया। हमें कभी किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने दी। खास बात यह है पापा सरकारी नौकरी में थे। घर के साथ नौकरी की जिम्मेदारी भी उन पर थी। कई बार ऐसी स्थिति भी आई जब घर और ड्यूटी दोनों जगह उनकी जरूरत थी, किंतु ऐसे समय में भी उन्होंने संयम और सूझबूझ से दोनों जिम्मेदारी निभाई। उनके सामने विवाह करने का विकल्प भी था किंतु उन्होंने इसे स्वीकार नही किया। हमें हमारे पापा पर गर्व है।