सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ बरसात शुरू होते ही मच्छर जनित रोगों जैसे डेंगू एवं चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होती है। एडीज मच्छर में ट्रांसओवेरियन ट्रांसमिशन होता है। जो मच्छर के अंडे में भी डेंगू के संक्रमण फैलाने के लिए नए मच्छर होते हैं। यह मच्छर सामान्यता दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी और कूलर के पानी में पनपता है। इस लिए घरों में उपयोग किए जाने वाले कूलर को सप्ताह में एक दिन ड्राई-डे मनाते हुए कूलर का पानी पूरी तरह से बदल कर सावधानियां बरत सकते हैं।
डेंगू का असर-शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है। इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगती है। वहीं चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक होता है। गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकता है। डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं। इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है। तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द, जी मचलाना एवं उल्टी होना, आँख के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक, मसूढ़ों से रक्त स्त्राव होना डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण होते हैं।
डेंगू का निदान-डेंगू का निदान रक्त परीक्षण की मदद से किया जाता है, जो इसमें वायरस और एंटीबॉडी की जांच करने में मदद करता है। बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है परहेज और संतुलित आहार, लेकिन अगर बीमार हो गये तब भी खान-पान में ध्यान रखकर घातक परिणाम से बचा जा सकता है। खासकर डेंगू बुखार का इलाज सबसे महत्वपूर्ण होता है। डेंगू बुखार से संक्रमित लोगों को बहुत सारे तरल पदार्थ लेने और प्रमुखता से डॉक्टर से सहायता लेने के लिए कहा जाता है। ऐसी स्थिति में बिना देर लगाए तुरंत नजदीकी अस्पताल जाना चाहिए।
ऐसे करें बचाव-घर में साफ सफाई पर ध्यान रखें, कूलर एवं गमले का पानी रोज बदलें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर भागने वाली क्रीम का इस्तेमाल दिन में करें। पूरे शरीर को ढंकने वाले कपडे पहने एवं कमरों की साफ़-सफाई के साथ उसे हवादार रखें। आस-पास गंदगी जमा नहीं होने दें, जमा पानी एवं गंदगी पर कीटनाशक का प्रयोग करें। खाली बर्तन एवं सामानों में पानी जमा नहीं होने दें, जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें। डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें। टायर व पुराने बर्तन का पानी फेंक दें। पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली कर धूप में सुखाएं।