Coronavirus Madhya Pradesh update: digi desk/BHN/ भोपाल/ कोरोना से स्वस्थ होने के बाद वयस्क ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे हैं तो बच्चों को मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआइएस-सी) बीमारी घेर रही है। कोविड से ठीक हो चुके दो से पांच फीसद बच्चों को यह बीमारी हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद अप्रैल-मई में भोपाल के निजी और सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के करीब 150 मरीज पहुंच चुके हैं। पिछले साल कुछ डॉक्टरों के पास एक-दो केस पहुंचे थे तो कुछ शिशु रोग विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं इसके पहले तो उन्होंने अपने पूरे करिअर में एक भी मरीज इस बीमारी का नहीं देखा।
भोपाल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि उन्होंने पिछले दो महीने में इस बीमारी से पीड़ित 40 बच्चों का इलाज किया। सभी स्वस्थ भी हो गए हैं। पिछली लहर में एक- दो मामले ही आए थे। समय पर इलाज नहीं मिले तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। हालांकि यह अच्छी बात है कि इससे पीड़ित भोपाल में सभी बच्चे स्वस्थ हो गए हैं। उन्होंने बताया कि कोविड से लड़ने के लिए शरीर में जो प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युन सिस्टम) सक्रिय होता है वह अपने ही तंत्र को नुकसान पहुंचाने लगता है, जिससे यह बीमारी होती है।
कोरोना होने के दो से छह हफ्ते के बीच होती है यह बीमारी
गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के शिशु रोग विभाग के सह प्राध्यापक और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आइएपी) के प्रदेश सचिव डॉ. राजेश टिक्कस के मुताबिक कोरोना संक्रमण होने के बाद दो से सात हफ्ते के भीतर यह बीमारी होने का खतरा रहता है। कोविड होने पर सक्रिय प्रतिरक्षा तंत्र के खुद को ही नुकसान पहुंचाने से विभिन्न् अंगों जैसे हार्ट, किडनी, लिवर, रक्त संचार व्यवस्था आदि प्रभावित होती है इसीलिए इसे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कहा जाता है।
ये होते हैं लक्षण
बुखार, आंखें लाल होना, शरीर में लाल रंग के दाने, भीतरी अंगों में सूजन
इलाज
डॉक्टर इसमें इम्युनोग्लोबलिन इंजेक्शन के साथ ही अन्य दवाएं देते हैं। जिस अंग पर ज्यादा असर होता है उसका इलाज भी किया जाता है। सीआरपी या डी-डाइमर की जांच कराते हैं।