Supreme Court says:digi desk/BHN/ सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ हुए बच्चों को लेकर चिंता जाहिर की है। शुक्रवार को अदालत ने कहा कि हम कल्पना नहीं कर सकते कि इस बड़े देश में महामारी से कितने बच्चे के अनाथ हुए होंगे। हमारे पास ठीक संख्या नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा, ‘उम्मीद है सड़क पर भूखे घूमते बच्चों की परेशानियों को समझेंगे।’ सर्वोच्च न्यायालय ने जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अदालतों के आदेश का इंतजार नहीं करें। वह तत्काल प्रभाव से उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करें।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया कि मार्च 2020 के बाद अनाथ हुए बच्चों की तत्काल प्रभाव से पहचान करें। उन्हें संरक्षण व मदद मुहैया कराएं। बच्चों की जानकारी बाल आयोग के पोर्टल पर अपलोड करें। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने सुनवाई के दौरान निर्देश दिए। इससे पहले न्यायमित्र गौरव अग्रवाल ने महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के बारे में अर्जी दाखिल की थी।
न्यायाधीश नागेश्वर राव ने कहा कि इस दौरान बहुत से बच्चे अनाथ हुए हैं। उन्होंने अखबार में पढ़ा है, सरकार कह रही है कि 577 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता-पिता खो दिए हैं। जबकि उन्होंने यह भी पढ़ा है कि महाराष्ट्र में 2,900 बच्चों ने अपने माता या पिता अथवा दोनों को खो दिया है। केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि सरकार ने इस बारे में सभी राज्यों को एडवाइजरी और निर्देश जारी किए हैं। इतना ही नहीं, सरकार ने अस्पताल में भर्ती होते वक्त माता-पिता से यह घोषणा लेने को भी कहा है कि उनके छोटे बच्चे किसके पास रहेंगे उनका संपर्क नंबर दें। चाइल्ड केयर सर्विस को टीकाकरण में प्राथमिकता दी गई है और करीब 50 फीसद स्टाफ का टीकाकरण हो चुका है।