Pradosh Vrat 2021:digi desk/BHN/ सनातन धर्म में पंचांग के मुताबिक वैशाख माह को हिंदू वर्ष का दूसरा माह माना जाता है। साल 2021 में वैशाख का महीना 28 अप्रैल से शुरू हो चुका है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वैशाख के माह को भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जाता है। पुराणों के मुताबिक यह महीना बेहद शुभ होता है। वैशाख मास का पहला प्रदोष व्रत 8 मई 2021 को रखा जाएगा। इस माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार के दिन है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। गौरतलब है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त Pradosh Vrat 2021 Shubh Yog
- वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी
- प्रारम्भ – 05:20 पी एम, 8 मई
- समाप्त – 07:30 पी एम, 9 मई
ऐसी है प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- – सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें
- – उसके बाद भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें।
- – इस दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाना चाहिए।
प्रदोष व्रत को लेकर धार्मिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक प्रदोष व्रत को लेकर एक कथा का जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक एक नगर में तीन मित्र रहते थे – राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र अपनी पत्नियों के संबंध में वार्तालाप कर रहे थे। तब ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।
धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया। लेकिन उसके माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र ग्रह डूबा हुआ है और ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं होता है, लेकिन धनिक पुत्र नहीं माना और ससुराल पहुंच गया। ससुराल में भी उसे समझाने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं माना और आखिरकार कन्या के माता पिता को बेटी की विदाई करनी पड़ी।
विदाई के बाद जब दोनों पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों पति पत्नी भी घायल हो गए। थोड़ा आगे बढ़ने पर डाकुओं ने लूट लिया। दोनों घर पहुंचे ही थे कि धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा, लेकिन जब ब्राह्मण कुमार को यह पता चला तो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें।धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई। यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।