Varuthini Ekadashi 2021:digi desk/BHN/ भगवान विष्णु के भक्त एकादशी के दिन उपवास रखते हैं। यह उपवास दशमी तिथि की रात से शुरू होता है और द्वादशी की सुबह खत्म होता है। इस बीच एकादशी के दिन भक्त उपवास रखते हैं। एक साल में आमतौर पर 24 एकादशी पड़ती हैं। इस तरह विष्णु के भक्त साल में 24 दिन उपवास रखते हैं। जिस साल अधिमास होता है। उस साल 24 की बजाय 26 एकादशी होती हैं और भगवान के भक्त 24 दिन उपवास करते हैं। अधिमास हर 32 महीने में एक बार आता है।
हर महीने पड़ने वाली एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग होता है। चैत्र महीने की एकादशी को वरुथिनि एकादशी कहते हैं। इस दिन व्रत किया जाने वाला व्रत भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस साल वरुनिथि एकादशी 7 मई के दिन है। यह तिथि 6 मई के दिन दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 7 मई को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी।
व्रत का महत्व
वरुनिथि एकादशी के मौके पर व्रत रखने से कष्टों से छुटकारा मिलता है। बुरी आत्माएं और दुख, पाप भी इससे दूर होते हैं। वरुनिथी का शाब्दिक अर्थ होता है सुरक्षित या जिसे बचाकर रखा जाए। इसी वजह से भगवान विष्णु के भक्त सुखमय जीवन की कामना के साथ यह व्रत रखते हैं। भविष्य पुराण में इस दिन व्रत रखने को कहा गया है। भगवान श्री कृष्ण ने खुद पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व समझाया था।
वामन अवतार के बाद होती है पूजा
भगवान विष्णु के छठवें अवतार यानी वामन अवतार के बाद इस दिन पूजा करने और व्रत रखने का प्रावधान शुरू हुआ। इस दिन पूजा करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। मोक्ष पाने के लिए ही विष्णु भक्त इस दिन पूजा पाठ करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है कि इस दिन पूजा करने और अच्छे कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।