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Hanuman Jayanti: हनुमानजी के भक्तों पर नहीं होता शनि का प्रकोप, जानिए कारण, पौराणिक कथा

Hanuman Jayanti 2021:digi desk/BHN/ हनुमानजी की उपासना से साधक को हर काम में सफलता मिलती है। विध्न का विनाश होता है, दुखों से छुटकारा मिलता है और ग्रह पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है, लेकिन शनि महाराज की कृपा पाने के लिए हनुमानजी की आराधना का खास विधान शास्त्रों में बताया गया है। इसके अनुसार जो भक्त हनुमानजी की पूजा- आराधना करता है उसको या तो शनि की पीड़ा नहीं होती है या फिर शनि के कारण तकलीफ है तो उससे छुटकारा मिलता है। आखिर शनि महाराज और हनुमानजी में क्या संबंध है, जो हनुमानजी की आराधना से शनि के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा का वर्णन किया गया है।

शनिदेव ने डाला था हनुमान आराधना में विध्न

मान्यता है कि एक बार बजरंगबली अपने आराध्य श्रीराम के किसी काम में व्यस्त थे। उस वक्त वहां से शनि महाराज का गुजरना हुआ। हनुमानजी को देखकर शनि महाराज को शरारत सूझी और वह रामकार्य में विघ्न डालने के लिए हनुमानजी के नजदीक गए। हनुमानजी ने शनि महाराज को समझाया और रामकार्य में विध्न न डालने की चेतावनी दी, लेकिन शनि महाराज ने हनुमानजी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया और अपनी शरारतों को जारी रखा।

हनुमानजी ने शनिदेव को पूंछ से बांध लिया था

तब बजरंगबली ने अपने काम को सुगमता से जारी रखने के लिए शनिदेव को अपनी पूंछ में जकड़ लिया और इधर-उधर घूमते-फिरते राम काज करने लगे। इससे शनि महाराज को काफी चोंटे आई और उन्होंने खुद को पवनसुत की कैद से छुटकारे की लाख कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए। शनि महाराज ने विनय-अनुनय भी काफी किए, लेकिन अपने आराध्य के काम में मस्त बजरंगबली ने ध्यान नहीं दिया।

माफी मांगने पर शनिदेव को हनुमानजी ने किया था मुक्त

जब हनुमानजी का काम पूरा हुआ तब उनको शनि महाराज का ख्याल आया और उन्होंने शनिदेव को अपनी कैद से आजाद किया। शनि महाराज को कैद से मुक्ति मिलते ही अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफी मांगी और कहा कि आज से वह कभी भी श्रीराम और हनुमान के कार्यों में विघ्न नहीं डालेंगे। रामजी और बजरंगबली के भक्तों पर भी उनकी विशेष कृपा हमेशा बनी रहेगी।

इसके बाद शनिदेव ने हनुमानजी से अपने घावों पर लगाने के लिए सरसों का तेल मांगा। उनकी विनती पर बजरंगबली ने उनको सरसों का तेल दिया। इससे शनि महाराज के जख्म ठीक हुए। इससे प्रसन्न होकर शनि महाराज ने कहा कि शनिवार के दिन जो भी भक्त मुझे सरसों का तेल समर्पित करेगा उसके ऊपर मेरी विशेष कृपा होगी और उसको पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।

लंका में रावण ने किया था शनिदेव को कैद

एक अन्य मान्यता के अनुसार एक बार लंकाधिपति रावण ने शनि महाराज को कैद कर लंका के कैदखाने में डाल दिया था। जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे थे तब उनको शनिदेव कैदखाने में मिले थे। तब हनुमानजी ने उनको मुक्ति दिलवाई थी। कैद से आजाद होने के बाद शनि महाराज ने हनुमानजी का आभार जताते हुए यह वचन दिया था कि उनके भक्तों पर मेरी विशेष कृपा हमेशा बनी रहेगी।

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