- आक्रोशित कर्मचारियों ने सीईएलआई सहित परख एक्सप्रेस का रास्ता रोका
- सुरक्षा के लिए भीड़ के बीच से बचाकर थाने ले गई आरपीएफ टीम
- दबाव देकर निरीक्षण कराने के लगाए जा रहे आरोप
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा की जांच करने पहुंची परख स्पेशल एक्सप्रेस के साथ मझगवां स्टेशन का जायजा ले रहे सीएलआई की गोंदिया बरौनी के इंजन से टकराने से मौत के बाद बवाल हो गया। जैसे ही अधिकारियों को इस घटना के बारे में जानकारी हुई वे दबे पांव यहां से निकलने की कोशिश में जुट गए तभी आक्रोशित कर्मचारियों ने स्पेशल ट्रेन का रास्ता रोककर अधिकारियों को घेर लिया। आलम यह था कि अधिकारियों को अपनी सुरक्षा के लिए आरपीएफ की फोर्स बुलानी पड़ी। यदि समय पर आरपीएफ नहीं पहुंचती तो अक्रोशित कर्मचारी हमला भी कर सकते थे।
बताया जाता है कि सतना में चीफ लोको इंस्पेक्टर (सीएलआई) पद पर पदस्थ जीतेन्द्र नाथ शुक्ला मझगवां स्टेशन में ट्रेन चालकों की काउंसलिंग कर रहे थे। इसी दौरान स्पेशल ट्रेन टीम के द्वारा उन्हें प्लेफार्म तीन पर पहुंचने का एनाउंसमेंट कराया गया। जब वे मेन लाइन से होकर प्लेटफार्म की ओर बढ़ रहे थे तभी गोंदिया बरौनी एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन से उन्हें टक्कर लग गई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि करीब 20 मीटर उछलकर प्लेटफार्म में जा गिरे। सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। जैसे ही इस घटना की जानकारी रेलवे के अन्य कर्मचारियों को हुई वे नाराज हो कर विरोध में उतर आए। वहीं स्पेशल ट्रेन से पहुंचे अधिकारी निरीक्षण छोड़कर वापस जबलपुर जाने लगे। सतना पहुंचने पर कर्मचारी संगठनों ने रास्ता रोक लिया। इस बीच चीफ इलेक्ट्रिकल लोको इंजीनियर (सीईएलआई) सहित अन्य अधिकारियों ने आरपीएफ से सुरक्षा मांगी। जिसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच सभी को थाने लाया गया। इस दौरान सीएसपी सतना महेन्द्र सिंह चौहान, तीनों थानों के प्रभारी सहित आरपीएफ थाना प्रभारी बब्बन लाल मौके पर पहुंचे थे।
चार स्टेशनों की सुरक्षा जांचने आई थी टीम
बताया जाता है कि रेलवे की परख टीम सतना-मानिकपुर रेलवे के बीच के चार स्टेशनों की सुरक्षा जांचने के लिए पहुंची थी। इसी टीम में सीसीआई जीतेन्द्र नाथ शुक्ला को भी शामिल किया गया था। पिछले कई दिनों से ड्यूटी पर होने के बाद भी उन्हें दबाव बनाकर निरीक्षण कराने ले जाने का आरोप कर्मचारियों ने लगाया है। कर्मचारियों का कहना है कि सगमा, जैतवारा, मझगवां और उसके बाद बारामाफी स्टेशन तथा गेट का निरीक्षण की तैयारी थी। सभी अधिकारी औपचारिक रुप से निरीक्षण पर परख में वापस आ गए। जबकि जीतेन्द्र नाथ को काउंसलिंग के लिए लगा दिया गया। वे काउंसलिंग कर ही रहे थे तभी एनाउंसमेंट कराया गया कि वे प्लेटफार्म नंबर 3 पर पहुंचे। चूंकि वे ट्रैक पर थे और उनका पूरा ध्यान स्टेशन पहुंचने पर था ऐसे में वे गोदिंया एक्सप्रेस को आता नहीं देख पाए और इंजन से टकरा गए। इंजन से टकराने के बाद उनकी मौत हो गई वहीं टीम के सभी सदस्य बारामाफी की ओर चले गए। जैसे ही उन्हें इसके बारे जानकारी हुई वे निरीक्षण का शेड्यूल बदलकर वापस जबलपुर जाने लगे।
कुछ महीने बाद था रिटायरमेंट
कर्मचारी यूनियन से जुड़े सदस्यों की माने तो जीतेन्द नाथ राजेन्द्र नगर वसंत विहार कॉलोनी में रहते थे। उनका एक बेटा इंदौर में पढ़ाई करता है। कुछ महीने बाद ही उनका रिटायरमेंट था। उससे पहले वह दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए। कर्मचारियों का मानना है कि यदि उन पर वर्कलोड नहीं होता तो शायद यह स्थिति नहीं होती। बिना सीएलआई के पहुंचे ही परख को आगे बढ़ा दिया गया था। बताया जाता है कि इन दिनों कर्मचारियों पर अधिक वर्कलोड देकर अधिकारी काम करवा रहे हैं। जिससे हादसे हो रहे हैं।