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Kumbh Mela Snan: कभी भूलकर भी ना करें राक्षसी स्नान, जानें क्या हो सकता है इसे नुकसान

Kumbh Mela Snan 202:digi desk/BHN/ हिंदू धर्म में स्नान करना शुभ माना गया है। इसे शरीर शुद्ध और मन पवित्र रहता है। साल में कई मौके आते है जब लोग मोक्ष प्राप्ति और मनोकामनाओं के लिए पवित्र नदी में स्नान करते हैं। धार्मिक मान्यतओं के अनुसार मुख्य चार प्रकार के स्नान बताएं गए हैं। इन सभी स्नान का प्रभाव मनुष्य पर अलग-अलग पड़ता है। खासतौर पर कुंभ स्नान करने जा रहे श्रद्धालुओ को सभी स्नान के बारे में पता होना चाहिए।

कौन से हैं चार मुख्य स्नान

1. मुनि स्नान- इसे ब्रह्मा मुहूर्त स्नान कहा जाता है। इस स्नान का समय सुबह 4 से 5 बजे के बीच होता है।

2. देव स्नान- देवता इस समय स्नान करते हैं। यह समय सुबह 5 से 6 बजे के बीच होता है।

3. मानव स्नान- इस समय इंसान स्नान करते हैं। समय सुबह 6 से 8 के बीच होता है।

4. राक्षसी स्नान- यह स्नान सुबह 8 बजे के बाद होता है।

चारों स्नान का महत्व

1. मुनि स्नान

मुनि स्नान को सर्वोत्तम माना जाता है। इस स्नान से सुख, शांति, समृद्धि, विद्या, बल और आरोग्य प्रदान होता है।

2.देव स्नान

इस स्नान करने से यश, कीर्ति, धन-वैभव, सुख-शांति और संतोष मिलता है।

3. मानव स्नान

मानव स्नान करने से सांसारिक कार्यों में सफलता मिलती है और परिवार में मंगल होता है।

4. राक्षसी स्नान

राक्षसी स्नान को निषेध माना गया है। इसे करने से दरिद्रता, कलह, संकट रोग और मानसिक अशांति प्राप्त होती है।

कुंभ स्नान का महत्व

हिंदू धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्व है। इस बार का कुंभ मेला 11 वर्ष बाद आयोजित हो रहा है, जबकि ये हर 12 साल के बाद होता है। 2022 में गुरु कुंभ राशि में नहीं होंगे। इस कारण 11वें साल में कुंभ का आयोजन हो रहा है। कुंभ के स्थल प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक है। कुंभ स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

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