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सिंहपुर गोलीकांड: फरार हत्यारोपी निलंबित दरोगा विक्रम पाठक व आरक्षक आशीष सिंह ने किया सरेंडर

हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत की अर्जी की थी खारिज

पिछले पांच महीने से पुलिस जिसे म.प्र व कई दूसरे राज्यों मे ढूंढ रही थी गली-गली, वो शुक्रवार को पहुंच गये रामपुर थाने…!

 

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ सिंहपुर थाने में विगत पांच महीने पहले लाकअप में चोरी के आरोप में पूछताछ के लिए लाये गये संदेही राजपति की दरोगा विक्रम पाठक के सर्विस रिवाल्वर से निकली गोली से हुई मौत के मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आया। कई महीनों से फरार निलंबित दरोगा विक्रम पाठक और उसके साथी आरक्षक आशीष सिंह ने रामपुर बघेलान थाने में सरेंडर कर दिया। थाने में सरेंडर करते ही पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया। इसके बाद उसे न्यायालय में पेश किया गया जहां से पूछताछ के लिए अभियुक्तों को रिमांड पर दे दिया गया। हैरानी की बात यह है कि संदिग्ध हत्या के जिस आरोपी दरोगा और आरक्षक आशीष सिंह को पकड़ने के लिए पुलिस बीते पांच महीनों से म.प्र समेत कई राज्यों में खाक छान रही थी वह शुक्रवार को बड़े आराम से रामपुर थाने पहुंचे और सरेंडर कर दिया। इसके पूर्व आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट से खारिज हो चुकी थी। इसलिए हत्यारोपियों के पास सरेंडर करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।

20 हजार का था ईनाम,संपत्ति कुर्क करने के हुए थे आदेश

सिंहपुर थाने में चोरी के एक संदेही की गैर इरादतन हत्या के मामले में फरार निलंबित दरोगा विक्रम पाठक तथा आरक्षक आशीष सिंह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के जब आरोपियों को गिरफ्तार करने में असफल पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने जहाँ इनाम की राशि 20,000 कर दी थी वहीं दोनों आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए न्यायालय में चल एवम अचल संपत्ति की कुर्की करने का आवेदन दिया दिया गया था जिस पर न्यायालय ने फरार दरोगा विक्रम पाठक का बैंक खाता जिसमे 80ए000 रुपये जमा है उसको सीज करने तथा आरोपी आरक्षक आशीष सिंह की मोहनिया स्थित आराजी की कुर्की के आदेश जारी किए थे।

उल्लेखनीय है कि गैर इरादतन हत्या के आरोपी निलंबित थानेदार और आरक्षक गिरप्तारी वारंट जारी होने के बाद लगातार फरार चल रहे थे। पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह के द्वारा गठित पुलिस टीमें कटिहार, पटना, सुल्तानपुर, बनारस, सागर, दमोह व अन्य जगहों में छापेमारी कर निलंबित थानेदार विक्रम पाठक और आरक्षक आशीष सिंह की तलाश में जुटी थीं। पुलिस टीम दोनों के पैतृक गांव भी गयी ताकि गिरफ्तारी वारंट को तामील कराया जा सके लेकिन दोनों लगातार पुलिस से बचते रहे।

क्या था मामला

27 सिंतबर को सिंहपुर थाने के इंचार्ज दरोगा विक्रम पाठक एवं आशीष सिंह चोरी के एक मामले में गांव के ही राजपति नामक व्यक्ति को थाने ले आये थे। संदेही राजपति की पूछताछ के दौरान दरोगा की सर्विस रिवाल्वर से निकली गोली ने जान ले ली। थाने में लॉकअप में चोरी के संदेही की थानेदार की सर्विस रिवॉल्वर से हुई मौत के बाद बवाल मच गया था। आरोपी दरोगा विक्रम पाठक व आरक्षक आशीष सिंह पर हत्या का आरोप लगाते हुए मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने क्षेत्र मे जम कर बवाल काटा था। थाने पहुंच गए, और सड़क पर धरने पर बैठ गए परिजनों का आरोप था कि थानेदार ने शराब के नशे में गोली मार कर राजपति कुशवाहा की हत्या कर दी है। ग्रामीणों के आक्रोश और क्षेत्र में मचे बवाल के बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल ने सब इंस्पेक्टर विक्रम पाठक और आरक्षक आशीष को निलंबित कर दिया था। बढ़ते बवाल के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डेमेज कंट्रोल में जुट गए। सीएम ने मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की और मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए। बढ़ते सियासी घमासान की भेंट सतना के पुलिस अधीक्षक रियाज इकबाल चढ़ गए। बवाल बढ़ता देख मुख्यमंत्री ने एसपी रियाज इकबाल का तबादला भोपाल मुख्यालय में कर नये एस.पी.धर्मवीर सिंह को सतना स्थानांरित कर दिया।

बढ़ई और राजगीर का काम करता था राजपति

सिंहपुर थाना इलाके के नारायणपुर गांव में बढ़ईगीरी और राजगीर मिस्त्री का काम करने वाले राजपति कुशवाहा 45 वर्ष की रविवार की रात सिंहपुर थाना के अंदर गोली लगने से मौत हो गई। जिस बंदूक से राजपति को गोली लगी वह सिंहपुर थाना प्रभारी विक्रम पाठक की सर्विस रिवॉल्वर थी। गोली लगने के बाद राजपति को सिंहपुर थाना से बिरला अस्पताल ले जाया गया था जहां उसकी मौत हो गई थी बावजूद इसके उसे रीवा मेडिकल कालेज ले जाया गया। इस मामले में जब संदेही के परिजन थाना पहुंचे तो पता चला कि राजपति की मौत हो चुकी है। यह सूचना नारायणपुर पहुंची तो भारी संख्या मे ग्रामीण एकत्र हो गये और धरना प्रदर्शन, चकाजाम जैसी स्थिति कई दिनों तक बनी रही।

मृतक की पत्नी ने लल्लू गर्ग पर लगाया था साजिश रचने का आरोप

मृतक की पत्नी और अन्य परिजनो का आरोप था कि पुलिस ने लल्लू गर्ग नाम के व्यक्ति के इशारे पर राजपति को चोरी के संदेह में रविवार की दोपहर लगभग 2 बजे घर से उठाया था। थानेदार विक्रम सिंह, आरक्षक आशीष सिंह और नीरज त्रिपाठी उसे थाना ले आये थे। रात में जब राजपति का भांजा थाना भोजन ले कर आया तो उसे भगा दिया गया। कुछ ही देर बाद रात लगभग सवा 9 बजे उसने थाना के अंदर गोली चलने की आवाज सुनी। थोड़ी देर बाद पुलिस कर्मी किसी को गाड़ी में लाद कर ले गए । जब वे अस्पताल पहुंचे तब उन्हें पता चला कि जिसे पुलिस वाले ले गये हैं वह राजपति है और उसकी मौत हो गई।

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