Wednesday , June 26 2024
Breaking News

Satna: जल की एक-एक बूंद को संरक्षित और सवंर्धित करना हम सभी का कर्तव्य- सांसद गणेश सिंह


सहिजना उबारी में संपन्न हुआ जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन कार्यक्रम
कैथा इटमा सड़क पुल पर टमस नदी की सफाई के लिये किया गया श्रमदान


सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ जल ही जीवन का आधार है, आज कम सभी जलवायु परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं। अगर समय रहते इसके संरक्षण और संवर्धन के सम्मिलित प्रयास नहीं किये गये तो आने वाले समय में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जल स्त्रोतों के संरक्षण, संवर्धन और पुनर्जीवन के लिये प्रदेश सरकार द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया गया। यह अभियान आने वाली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित और संरक्षित करने का जन आंदोलन है। सांसद गणेश सिंह रविवार को उचेहरा विकासखंड के ग्राम सहिजना उबारी में जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष रामखेलावन कोल, जनपद अध्यक्ष अंजू सिंह, जिला पंचायत सदस्य ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, एकता अनूप सिंह, मंजूलता सिंह, डॉ पंकज सिंह परिहार, विधायक प्रतिनिधि भागवेंद्र सिंह, सीईओ जिला पंचायत संजना जैन, एसडीएम सुधीर बैक, ईई आरईएस अश्वनी जायसवाल, सरपंच श्याम सिंह सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, स्थानीय नागरिक मौजूद रहे।
सांसद गणेश सिंह ने कहा कि प्रकृति और जीवन का वैंसा ही संबंध है, जैंसे संतान का और मां का। यदि हम प्रकृति और नदियों की उपेक्षा करेंगे तो हमारा जीवन भी निर्जल होगा। हमें अपने जीवन के लिए नदियों को अविरल और पवित्र रखना होगा। उन्होने कहा कि जिस प्रकार से आज प्रकृति के संसाधनों का दोहन हो रहा है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों के जागरुकता की कमी दिख रही है। जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभावों को वर्तमान में भी महसूस किया जा सकता है। आने वाला समय हम सभी के लिये सुखद हो इसके लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान चलाकर आमजनता में जल संरक्षण की अलख जगाई है। मुख्यमंत्री द्वारा शुरु किया गया जल गंगा संवर्धन अभियान जल संरचानओं को पुनर्जीवित करने के महाअभियान के साथ-साथ जन आंदोलन भी है। जल गंगा संवर्धन अभियान केवल प्रदेश सरकार का नहीं है, यह प्रत्येक नागरिक का भी अभियान है। कोई भी अभियान बिना जन सहभागिता के सफल नहीं हो सकता है। जल गंगा संवर्धन अभियान जैसे कार्यक्रम कभी न समाप्त होने वाले कार्यक्रम है। यह सतत चलने वाला एक अभियान कार्यक्रम हैं।
सांसद श्री सिंह ने कहा कि बड़ी-बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से किसानों के खेतो तक पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है। जिससे क्षेत्रों के जल स्तर में सुधार हुआ है। जिले के जिन क्षेत्रों में बाणसागर नहर का पानी पहुंचा है, वहां के गांवों में जल स्तर सुधरा है। इसी प्रकार से आने वाले समय में बरगी का पानी जिले को मिलने लगेगा। जिससे जल स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी। सांसद ने कहा कि वर्षा जल संरक्षण के लिये प्रत्येक जिले में अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं। सरकार द्वारा जल संरक्षण की दिशा में पूरे मनोयोग से अनेकों प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अपने स्तर पर भी जल संग्रहण के लिए छोटे-छोटे प्रयास कर सकते हैं। पर्याप्त मात्रा में सिंचाई होने से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। इस अवसर पर सांसद श्री सिंह ने सभी को जल स्त्रोत के संरक्षण और संवर्धन की शपथ दिलाई। सांसद श्री सिंह ने जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों के साथ नदी की सफाई के लिये श्रमदान भी किया।


प्रत्येक परिवार कम से कम पांच पेड़ लगाये


जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन अवसर पर सांसद गणेश सिंह ने बरगद का पौधा रोपित कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। किया। उन्होने कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिये प्रत्येक परिवार कम से कम पांच पेड़ जरुर लगायें। जीवन के विशेष अवसरों, अपने परिजनों और पूर्वजों की याद में पेड़ लगाये। उन्होने कहा कि वृक्ष है तो जल है और जल है तो जीवन है। आने वाली पीढ़ी के स्वस्थ और सुरक्षित जीवन के लिए जल और पर्यावरण का संरक्षण करना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। मानव ने अपने स्वार्थ के लिए जल, जंगल सहित अनेक प्राकृतिक संपदा का दोहन किया है, जिसके दुष्परिणाम देखने मिल रहे हैं। आज नदियाँ सूखी हैं, तालाबों में पानी नहीं है, पर्यावरण दूषित हो रहा है। इन सबके मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव दिखाई दे रहे हैं। अगर यही स्थिति रही तो आने वाली पीढ़ी हमे इसके लिए दोषी ठहराएगी। उन्होंने कहा आज हमें अपने सभी जल स्त्रोंतों का संरक्षण और संवर्धन करने के साथ ही पेड़ लगाने और उसे जीवित रखने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज बहुत दूरदर्शी और बुद्धिमान थे। उन्होंने नदियों के उद्गम और जल स्रोतों के समीप जल और पर्यावरण संरक्षण के अनुकूल प्रजातियों के पौधे लगाए। जल स्त्रोंतो के पास अधिक जल अवशोषित करने वाले पौधे नहीं लगाना चाहिए, बल्कि जल उत्सर्जित करने वाले पौधों का रोपण करना चाहिए। इससे हमारे जल स्रोत जीवित रहेंगे।

About rishi pandit

Check Also

Shahdol: सेना के जवान पर दुष्कर्म का केस दर्ज, युवती का आरोप- शादी का झांसा देकर की ज्यादती

शहडोल,भास्कर हिंदी न्यूज़/ थाना प्रभारी अरुण पांडे ने बताया है कि सेना के जवान ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *