सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ विश्व पर्यावरण दिवस से प्रारंभ हो रहे जल संरक्षण-संवर्धन के विशेष अभियान “नमामि गंगे अभियान“ 5 जून से प्रारंभ हो रहा है। पारंपरिक देशज दृष्टि और संस्कार के अनुरूप जल तथा प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहते हुए वैज्ञानिक दृष्टि से जल के औषधतत्व, उसकी सार्वभौमिकता को प्राथमिकता आधारित “नमामि गंगे अभियान“ विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2024) से गंगा दशमी (16 जून 2024) तक चलेगा। जल संवर्धन और संरक्षण के लिये आमजन को प्रेरित करने के लिये विविध गतिविधियों का सफल क्रियान्वयन कर अभियान को भव्य बनाया जाएगा।
नमामि गंगे विशेष अभियान में जल संरचनाओं के उन्नयन कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर कराये जाएंगे। जल संरचनाओं से मिलने वाले गंदे पानी के नाले अथवा नालियों को डायवर्सन के उपरांत शोधित कर जल संरचना में छोड़ा जाएगा। जल संरचनाओं को व्यवसाय व रोजगार मूलक बनाने के उद्देश्य से पर्यटन, मत्स्य पालन, सिंघाड़े का उत्पादन जैसी संभावनाओं का स्पष्टतः निर्धारण किया जाएगा। चिन्हित जल संरचनाओं की मोबाइल ऐप से जियो टैगिंग भी की जाएगी। जल संग्रहण संरचना से निकाली गई मिट्टी एवं खाद का उपयोग स्थानीय कृषकों के खेतों में किए जाने को प्राथमिकता दी जाएगी। जल संरचनाओं के किनारे पर यथा संभव बफर जोन तैयार किए जाएंगे। इस जोन में अतिक्रमण से बचाने एवं नदी तालाबों के कटावों को रोकने के लिए हरित क्षेत्र पार्क का विकास जैसे कार्य किए जाएंगे। नगरीय क्षेत्र में जल संरचनाओं के जल की गुणवत्ता की जांच भी की जाएगी।
नमामि गंगे अभियान में प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों (नर्मदा, चम्बल, ताप्ती, सोन, बेतवा, तवा, क्षिप्रा, केन, सिंधु, पार्वती, टोंस आदि) और ऐतिहासिक एवं पारम्परिक जल संरचनाओं (तालाब, झील, कुंआ, बावड़ी आदि) के संरक्षण, पुनर्जीवन के लिए सम्पूर्ण प्रदेश में अभियान चलेगा। इसमें प्रमुख नदियों एवं जल स्त्रोतों के निकट धार्मिक स्थानों, तीर्थ स्थलों, मेले एवं पुरातात्विक सम्पदाओं पर वृहद साफ-सफाई, सजावट तथा लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों/भजनों से लोक रुचि के कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
विशेष अभियान में प्रदेश की लगभग 212 नदियों, जल संरचनाओं और जो पारंपरिक जलस्त्रोतों का सैटेलाइट मैपिंग करवा कर प्राचीन वांग्मय, परंपरा, लोक आख्यान के संदर्भों के साथ सर्वे आधारित दस्तावेजी ग्रंथ प्रकाशित किए जाएंगे। नदियों के सांस्कृतिक एवं पारम्परिक और वांग्मयी तथा लोक साहित्य अध्ययन एवं नदियों, ऐतिहासिक पारम्परिक जल संरचनाओं को सतत प्रवाह्मान रहने के लिए सुझाव लिये जाएंगे। साथ ही इंजीनियरिंग पक्ष का अध्ययन, फोल्डर निर्माण, बुकलेट, विषय संबंधी लेख भी प्रकाशित कराये जाएंगे। विशेष अभियान में ऐतिहासिक एवं पारम्परिक जल संरचनाओं को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। साथ ही ऑडियो-विडियो सीडी का लोकार्पण किये जाएंगे।
जन-जागरूकता के उद्देश्य से 6 जून को प्रत्येक नगरीय निकाय में जल सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। 8 जून को जन भागीदारी से श्रमदान कर जल संरचनाओं की साफ सफाई की जाएगी। 9 जून को जल संरचनाओं के समीप कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा साथ ही 9 जून को ही जल संरक्षण विषय पर निबंध, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय छात्र-छात्राएं सहभागिता करेंगे। 10 से 16 जून तक योजनानुसार जीर्णोद्धार के साथ-साथ जल संरचनाओं की साफ-सफाई भी होगी। 15 व 16 जून को गंगा दशमी के अवसर पर प्रमुख जल स्रोतों के किनारे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत गंगा आरती, भजन समारोह इत्यादि आयोजित किये जायेंगें। यह भी निर्देशित किया गया है कि जल स्रोतों के संरक्षण, जीर्णोद्धार व उन्नयन कार्यक्रम की मॉनिटरिंग प्रतिदिन की जायेगी। इस अभियान के दौरान नगरीय क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के उपयोग के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।