सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने जिले के किसानों से अपील की है कि नरवाई के निष्पादन के लिये खेतों में आग नहीं लगायें। आग लगाने से जमीन में उपलब्ध सूक्ष्मजीव जो कि मिट्टी को बनाने में सहायक का कार्य करते हैं या सभी लाभदायक सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम या नष्ट हो जाती है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा अधिक उत्पादन प्राप्त करने यांत्रिक कृषि के प्रति किसानों को जागरुक करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि एक ओर जहां स्ट्रॉबेलर कृषि यंत्र पराली को खेतों से इकट्ठा कर छोटे-छोटे गठ्ठे बना देता है। वहीं रोटरी मल्चर यंत्र फसल के अवशेषों को छोट-छोटे टुकड़ों में काटकर उन्हें खेत में एक समान रूप से फैला देता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेलर द्वारा एक घंटे में तकरीबन एक एकड़ खेत से पराली को हटाया जा सकता है। साथ ही नरवाई के स्थानांतरण, संग्रहण आदि कार्यों को भी सफलता पूर्वक किया जा सकता है। वहीं रोटरी मल्चर द्वारा गन्ने की फसल के अवशेषों, गेंहूँ और धान के पुआल, बैंचा और मक्का के डंठल से मल्विंग के लिए किया जाता है।
कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से प्राप्त किया जा सकता है अधिक उत्पादन
उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों को अरहर, सोयाबीन, मूंग, उड़द, चना, मसूर, मक्का एवं गेहूं जैसी फसलों की बोनी करने के लिए मल्टी क्रॉप-रेज्ड बेड प्लांटर मशीन का उपयोग करना चाहिए। इस मशीन से 20 से 22 इंच चौड़ी एवं 6 इंच ऊंची क्यारियाँ बनती हैं। जो तेज हवा एवं आंधी के प्रभाव से फसलों को सुरक्षित करती हैं। उन्होने बताया कि नरवाई जलाये बिना फसल की बोनी करने के लिये किसान हैप्पी सीडर यंत्र का उपयोग करें। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर मशीन द्वारा एक घंटे में एक एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में बोनी की जा सकती है। साथ ही फसल में पानी भी कम लगता है। खरपतवार कम होते हैं और उत्पादन भी अधिक होता है। इस यंत्र का उपयोग करने से समय और लागत दोनों की बचत होती है।
उप संचालक कृषि ने बताया कि सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन किसानों को श्रम की बचत करने में सहायक है। मशीन द्वारा बीज को मिट्टी में निर्धारित गहराई पर बोया जाता है जिससे अंकुरण अधिक होता है। साथ ही उर्वरक को उचित अनुपात में पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है। इस मशीन द्वारा कम समय में बोनी कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कृषि यंत्र स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम की जनकारी देते हुए बताया कि इसके द्वारा फसल अवशेषों को आसानी से खेतों में फैलाकर शीघ्र खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम को कंबाइन हार्वेस्टर में जोड़ा जाता है, यह यंत्र कंबाइन से काटी गई फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके खेतों में बिखेर देता है।
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