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MP: फौजी वेशभूषा में विराजे हैं हनुमान जी, सलामी देते मूंछोंवाले सैनिक रूप में होते हैं दर्शन

Madhya pradesh sagar hanuman jayanti 2024 hanumanji is sitting in military attire in the temple of sagar: digi desk/BHN/सागर/ हनुमान जयंती का पर्व उत्तर तथा मध्य भारत में बड़े ही उल्लास तथा धार्मिक भक्ति भाव से मनाया जाता है। बात करें बुंदेलखंड अंचल की तो यहां के लोगों में हनुमान जी के प्रति श्रद्धा का भाव कुछ ज्यादा ही मिलेगा। अंचल के छोटे से छोटे गांव में भले आपको किसी अन्य देवी देवता का मंदिर या पूजा स्थल मिले या न मिले, हनुमान बब्बा की मढ़िया या मंदिर जरूर मिल जाएगा। अंचल में हनुमान जी के अनेक चमत्कारिक मंदिर मौजूद हैं। सागर शहर में भी हनुमान जी के 100 से ज्यादा मंदिर-मढ़िया बनी हुई हैं। 

सागर के छावनी इलाके में परेड मंदिर है, जिसमें मूंछों वाले हनुमान विराजे हैं। यहां हनुमान सेना के जवानों की आस्था का केंद्र है। माना जाता है कि यहां हनुमान एक सैनिक के रूप में विराजमान हैं। इस मंदिर को लेकर कई तरह के किस्से भी प्रचलित हैं।

मूंछों वाले हनुमान
भगवान राम के परम भक्त हनुमान के कई ऐतिहासिक और सिद्ध मंदिर हैं। इसके अलावा हनुमान के कई रूपों में मूर्तियां भी देखने मिलती हैं। भक्तों ने अपनी आस्था और श्रद्धा अनुसार हनुमान मूर्तियों की स्थापना की है। इसी तरह सागर के कैंट इलाके में हनुमान का एक ऐसा मंदिर है, जिसे परेड मंदिर के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है। मंदिर को परेड मंदिर कहे जाने के पीछे कई किंवदंती हैं। कई श्रृद्धालु तो हनुमान को सैनिक के रूप में मानते हैं, क्योंकि यहां विराजे हनुमान की रौबदार मूछें हैं और हाथ सलामी देता प्रतीत होता है। सागर छावनी इलाके में स्थित मंदिर सेना और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां आषाढ़ मास के हर मंगलवार को विशाल मेला भरता है।

परेड मंदिर
सागर के छावनी इलाके में झांसी रोड पर छावनी परिषद कार्यालय के पास हनुमान मंदिर स्थित है, जिसे परेड मंदिर कहते हैं। मंदिर वाराणसी के पंचदश जूना अखाड़ा से जुड़ा है। मंदिर परिसर में राम-सीता और लक्ष्मण, राधा कृष्ण, भगवान शंकर और शनि देव का मंदिर भी है। यहां लगातार यज्ञ, हवन और धार्मिक आयोजन का सिलसिला चलता रहता है। सेना और स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से लोग परेड मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। 

मंदिर के महंत राघवेंद्र गिरी बताते हैं कि मंदिर का नाम परेड मंदिर इसलिए है क्योंकि यहां सेना की परेड होती थी। अंग्रेजों के जमाने में भी सागर बड़ी छावनी थी। तब यहां विशाल मंदिर परिसर नहीं था, एक छोटे से मंदिर में हनुमान जी विराजे हुए थे। कहा जाता है कि सेना का एक जवान हनुमान जी का परम भक्त था। उसे जब भी मौका मिलता था, वह मंदिर आ जाता और मंदिर की साफ-सफाई के साथ भगवान की भक्ति करता था। पुजारी ने बताया कि हनुमान जी सेवक वह सैनिक एक बार परेड छोड़कर मंदिर आ गया और साफ सफाई करने लगा। तभी परेड का निरीक्षण करने कर्नल पहुंच गया। इधर सैनिक मंदिर की सफाई करता रहा और उधर कर्नल ने परेड का निरीक्षण कर जवानों की हाजिरी ली। जब जवान मंदिर से वापस परेड में पहुंचा, तो पता चला कि कर्नल आया था। वह गैरहाजिर होने के कारण काफी डर गया, लेकिन उसके साथी सैनिकों ने बताया कि वह परेड में मौजूद था। जब हाजिरी के रजिस्टर पर देखा, तो सैनिक के दस्तखत भी थे। जवान समझ गया कि उसकी जगह उसकी नौकरी बचाने भगवान खुद परेड में पहुंच गए थे।

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