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राजस्थान में पहला फेज BJP के लिए बेहद कठिन? गांवों में बंपर वोटिंग के पैटर्न से इंडी गठबंधन दिख रहा आगे

जयपुर.

राजस्थान में पहले चरण की सभी 12 सीटों के लिए मतदान संपन्न हो गया है। पहला फेज बीजेपी के लिए बेहद कठिन माना जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में कुल 57.88 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि 2019 में इन क्षेत्रों में 63.71 फीसदी मतदान हुआ था।पांच चुनाव में दो बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ा तो कांग्रेस का फायदा हुआ है। जबकि 2 बार बढ़ा तो भाजपा ने 25 सीटें जीती।

सियासी जानकारों का कहना है कि पिछले चुनावों के वोटिंग प्रतिशत को समझने की कोशिश की जाए तो कौन पार्टी आगे इसकी झलक जरूर मिल सकती है।  राजस्थान में इस बार लोगों में उत्साह कम देखा गया है। इसकी झलक कई सीटों पर मिली है। लोग वोट देने के लिए मतदान केंद्र तक नहीं आए है। राजनीतिक विश्लेषक कम मतदान से बीजेपी के नुकसान ज्यादा होने की बात कह रहे हैं। जानकारों का कहना है कि शहरी वोटर्स मतदान के लिए आया है। इसकी वजह तेज धूप और गर्मी हो सकती है। आमतौर पर शहरी वोटर बीजेपी समर्थक माना जाता है। जबकि गांवों में बंपर वोटिंग हुई है।  सियासी जानकारों का कहना है कि पहले चरण के मतदान से संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी को 3 से 4 सीटों का नुकसान हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का इस बार बीजेपी की हैट्रिक लगने में संदेह। बता दें पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने सभी 25 सीटों पर क्लीन स्वीप किया था।

हाई प्रोफाइल सीटों पर नजर
राजस्थान में पहले चरण में आधा दर्जन सीटे हाई प्रोफाइल मानी जाती है। नागौर, सीकर, दौसा, झुंझुनूं और अलवर में इस बार बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि पहले चरण के मतदान से संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी को 3 से 4 सीटों का नुकसान हो सकता है। पहले चरण में 2 सीटें इंडिया गठबंधन की है। सीकर में माकपा के अमराराम बीजेपी से यह सीट छिन सकते है। जबकि नागौर में बेनीवाल और ज्योति मिर्धा में कांटे का मुकाबला है। यहां कांग्रेस ने बेनीवाल का समर्थन किया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दौसा सीट कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा भारी पड़ते हुए दिखाई दे रहे है। जबकि अलवर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर है। यहां से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और कांग्रेस के ललित यादव के बीच मुकाबला है।

राजस्थान का कम वोटिंग प्रतिशत किसे जिता रहा?
राजस्थान में पहले चरण में 12 सीटों पर वोटिंग हुई है, वहां भी 6 सीटें हाई प्रोफाइल मानी जा सकती हैं। उन सीटों पर बड़े चेहरों के बीच में लड़ाई है। अलवर में इस बार बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्राी भूपेंद्र यादव ताल ठोक रहे हैं। जबकि कांग्रेस के ललित यादव है। बसपा के चौधरी फजल हुसैन भी किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार के चुनाव में अलवर में कम वोटिंद देखने को मिली है। चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार यहां पर वोटिंग प्रतिशत अलवर  59.79 रहा है। जबकि 2019 में 66.82% रहा।

निर्वाचन क्षेत्रवार वर्ष 2024 और (वर्ष 2019) का मतदान प्रतिशत
गंगानगर : 65.64 (74.39%)। बीकानेर : 53.96 (59.24%)। चूरू : 62.98(65.65%)। झुंझुनूं : 51.62(61.78%)। सीकर : 57.28(64.76%) जयपुर ग्रामीण : 56.58(65%) । जयपुर : 62.87(68.11%)। अलवर : 59.79(66.82%)। भरतपुर : 52.69(58.81%)। करौली-धौलपुर : 49.29(55.06%) दौसा : 55.21(61.20%) और नागौर : 56.89(62.15%) मतदान हुआ था।

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