नगद राशि, अवैध शराब, मादक पदार्थ, अमूल्य धातु की हुई जब्ती
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ लोकसभा निर्वाचन-2024 की आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद पुलिस एवं अन्य एन्फोर्समेंट एजेंसियों द्वारा लगातार कार्यवाही की जा रही है। 16 मार्च से 8 अप्रैल तक सतना और मैहर जिले में स्थापित चेक पोस्ट और पुलिस की रेगुलर कार्यवाही में 1 करोड़ 53 लाख 65 हजार 706 रूपये मूल्य की सामग्री जब्त की गई है।
एन्फोर्समेंट एजेंसियों की कार्यवाही में 1 करोड़ 17 लाख रुपये के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस एवं अन्य तकनीक सामान, 20 लाख 83 हजार 926 रुपये मूल्य की 26.717 किलोग्राम चांदी, 12 लाख 84 हजार 220 रुपये मूल्य की 12410 लीटर मदिरा एवं 33 हजार रुपये की बिना बिलिंग की खाद्य सामग्री जब्त की गई है। नकदी के प्रकरणों में अब तक 67 लाख 23 हजार 996 रुपये की जब्ती की गई है।
लोकसभा निर्वाचन 2024 के दृष्टिगत शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष निर्वाचन संपन्न कराने के लिए एन्फोर्समेंट एजेंसियों के द्वारा चेक पोस्ट पर अवैध सामग्री, मदिरा, बहुमूल्य धातुओं, अवैध धनराशि एवं अन्य संदिग्ध वस्तुओं के परिवहन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। एफएसटी, एसएसटी और वीएसटी सहित जिला प्रशासन एवं पुलिस अधिकारी लगातार वाहनों का निरीक्षण कर रहे हैं। समस्त एन्फोर्समेंट एजेंसियों द्वारा कार्यवाही की डेली रिपोर्ट व्यय लेखा प्रकोष्ठ को उपलब्ध कराई जा रही है।
मतदान समाप्ति से 48 घंटे पहले तक टेलीविजन या अन्य संचार माध्यमों से
किसी भी चुनावी मामले का प्रदर्शन प्रतिबंधित रहेगा
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा निर्वाचन-2024 के लिये मीडिया कव्हरेज के परिप्रेक्ष्य में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। आयोग ने कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126(1)(बी) के अनुसार टेलीविजन, सिनेमैटोग्राफ या इसी तरह के अन्य संचार माध्यमों से किसी भी चुनावी मामले (विज्ञापन या प्रचार आदि) का प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध रहेगा। यह प्रतिबंध किसी भी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले तक की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या अन्य समान उपकरण के माध्यम से किसी भी चुनावी मामले को जनता के समक्ष प्रदर्शित नहीं करेगा। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। आयोग के अनुसार चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने या ऐसे इरादे या गणना करने जैसा कोई भी प्रयास चुनावी मामला माना जायेगा।
टीवी चैनलों में पैनल चर्चा/बहस और अन्य समाचार और समसामयिक कार्यक्रमों के प्रसारण में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप लगते हैं। इस संबंध में आयोग ने स्पष्ट किया है कि टीवी/रेडियो चैनलों और केबल नेटवर्क को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में उल्लेखित 48 घंटों की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित/प्रदर्शित कार्यक्रमों के कंटेन्ट में दृश्य सहित ऐसी कोई भी सामग्री शामिल नहीं है। पैनलिस्टों/प्रतिभागियों द्वारा अपील करने पर उन्हें किसी पार्टी विशेष या उम्मीदवार की संभावना को बढ़ावा देने या चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के रूप में माना जा सकता है। इसमें जनमत सर्वेक्षण और मानक बहस, विश्लेषण, दृश्य और ध्वनि-बाइट्स का प्रदर्शन शामिल होगा। इसमें टीवी, केबल नेटवर्क, रेडियो, सिनेमा हॉल में किसी भी चुनावी मामले पर राजनीतिक विज्ञापन, किसी भी मतदान में थोक एसएमएस/वॉयस संदेशों, ऑडियो विजुअल डिस्प्ले का उपयोग आदि भी शामिल है।
आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिये आयोग के पूर्व आदेशानुसार राज्य/जिला स्तर पर गठित समितियों द्वारा पूर्व-प्रमाणन की आवश्यकता होगी। इस संदर्भ में आयोग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एनबीएसए द्वारा 3 मार्च, 2014 को जारी “चुनावी प्रसारण के लिए दिशा-निर्देश“ की ओर विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया गया है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया की अखंडता बनाए रखने के लिए अपने प्लेटफार्मों के स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सभी भाग लेने वाले सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए एक “स्वैच्छिक आचार संहिता“ भी विकसित की है। सभी चुनावों के दौरान इस “स्वैच्छिक आचार संहिता“ का पालन किया जाना चाहिए। यह संहिता वर्तमान लोकसभा चुनावों में भी लागू है। इस संबंध में आयोग द्वारा सभी संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का 20 मार्च, 2019 की “स्वैच्छिक आचार संहिता“ की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
आयोग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या कोई अन्य संगठन या व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान के दिन से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा, बशर्ते कि राजनीतिक विज्ञापनों की सामग्री पूर्व-प्रमाणित हो। उनके द्वारा राज्य/जिला स्तर पर एमसीएमसी समिति से अनुमोदन लेना होगा। आवेदकों को ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन की प्रस्तावित तिथि से दो दिन पहले राज्य/जिला स्तरीय एमसीएमसी कमेटी को आवेदन करना होगा।
आयोग द्वारा यह भी कहा गया है कि पाठकों को गुमराह करने के लिए समाचार सुर्खियों के रूप में राजनीतिक विज्ञापन विशेष रूप से समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं किए जाएंगे। किसी पार्टी विशेष की जीत की भविष्यवाणी करने वाले विज्ञापनों पर स्पष्ट प्रतिबंध रहेगा और चुनाव परिणामों से संबंधित किसी भी प्रकार की अटकलों से संबंधित मैटर से भी बचना चाहिए। प्रेस काउंसिल के पत्रकारों का आचरण के मानदंडों के भाग (ए) पैरा 2 (xii) पर भी विशेष ध्यान आकर्षित किया गया है। इसमें यह कहा गया है कि “एक संपादक समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापनों सहित अन्य सभी मामलों के लिए जिम्मेदार होगा।“