- नर्सिंग कालेजों का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए नियम नहीं किए लागू
- सरकार ने पिछले माह जारी किए हैं नए नियम
- प्रस्ताव में शामिल कई बिंदुओं को नहीं मिली स्वीकृति
Madhya pradesh bhopal mp news proposed rules to stop fraud in nursing colleges not implemented in mp: digi desk/BHN/भोपाल/ प्रदेश के निजी नर्सिंग कालेजों में गड़बड़ी के एक से एक मामले सामने आने के बाद सरकार ने उन पर कसावट के नाम पर नियम तो बनाए, पर इनसे उनकी गड़बड़ी रोक पाना मुश्किल होगा। पहला तो यह की फैकल्टी के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य नहीं किया गया, जबकि यह प्रस्ताव में शामिल था।
मेडिकल कालेजों में आधार सत्यापन के चलते ही एक साथ दो जगह काम करने वाले फैकल्टी पर कसावट हो पाई। दूसरा, यहां के कालेजों में फैकल्टी के रूप में सेवा देने के लिए मप्र नर्सिंग काउंसिल में पंजीयन अनिवार्य करने का प्रस्ताव था, पर नए नियम में यह भी शामिल नहीं किया। ऐसे में दूसरे राज्यों के नर्सिंग काउंसिल में पंजीकृत फैकल्टी निरीक्षण के दौरान कालेजों में अपना नाम दर्ज कराते हैं और बाद में चले जाते हैं। नए नियम पिछले माह सरकार ने जारी किए हैं।
यहां पंजीयन की अनिवार्यता होने पर इस गड़बड़ी को रोका जा सकता था। तीसरा यह कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) ने नर्सिंग कालेज संचालित करने के लिए कम से कम 25 हजार वर्गफीट क्षेत्र अनिवार्य किया है जबकि प्रदेश सरकार ने नए नियम में आठ हजार वर्गफीट निर्धारित किया है। खुद का भवन भी नर्सिंग कालेज खोलने के लिए अनिवार्य करने प्रस्ताव था, पर इसे भी मान्य नहीं किया गया।
जांच में ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब दिए गए पते पर कालेज ही नहीं मिला। दरअसल, प्रस्तावित नियमों पर लगभग पूरी सहमति बन गई थी। यह प्रस्ताव कैबिनेट में जाने वाला था, पर इसके पहले आचार संहिता लग गई। चुनाव बाद इसमें कई बड़ेे संशोधन कर कैबिनेट में प्रस्तुत किया गया।
कई फैकल्टी एक साथ 10 से अधिक कालेजों में मिल चुके हैं पंजीकृत
हाई कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 368 नर्सिंग कालेजोंकी जांच सीबीआइ भी कर रही है। इनमें अभी तक 308 कालेजों की जांच पूरी हो चुकी है। सीबीआइ द्वारा नर्सिंग कालेजों की जांच में भी मापदंडों के उल्लंघन को लेकर कई बड़ी गड़बड़ियां भी सामने आ चुकी हैं। ला स्टूडेंट एसोसिएशन ने पूरे साक्ष्य के साथ हाई कोर्ट में याचिका लगाकर बताया था कि कुछ ऐसे भी फैकल्टी हैं जो एक साथ 10 से अधिक कालेजों में फैकल्टी के तौर पर पंजीकृत हैं।