प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव सहित भोपाल, हैदराबाद और बेंग्लुरू में 15-16 स्थानों पर छापेमारी
M.P,E-tendering scam:digi desk/BHN/ तीन हजार करोड़ से अधिक का ई-टेंडरिंग घोटाला एक बार फिर जिंदा हो गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में जांच आगे बढ़ाई है। प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव सहित भोपाल, हैदराबाद और बेंग्लुरू में 15-16 स्थानों पर छापेमारी की गई है। दरअसल, शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में अगस्त 2018 में यह राजफाश हुआ था। जिसकी जानकारी कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में ईडी ने मांगी थी। इसमें बड़ी परियोजनाओं के 107 टेंडरों में गड़बड़ी होना पाया गया है। जिम्मेदार अधिकारी कंपनियों से मिलीभगत कर गलत तरीके से टेंडर जारी करते थे।
हैक कर बदलाव करते थे
आरोपित ई-टेंडर की पोर्टल को हैक करके निविदाओं में हेर-फेर कर पसंद की कंपनियों को काम देते थे। ईडी ने एक साल पहले मामला दर्ज कर जांच शुरू की और अब सुबूत जुटाने के लिए संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। मामले का खुलासा वर्ष 2018 में हुआ था। जनवरी से मार्च 2018 के बीच पांच विभागों में गड़बड़ी का पता चला था। शुरूआत में यह मामला सात टेंडरों में गड़बड़ी और 900 करोड़ रुपये के घोटाले तक सीमित था, पर जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, टेंडर की संख्या भी बढ़ी और घोटाले की रकम भी। मार्च 2018 में तत्कालीन सरकार ने मामले में संबंधित विभागों के 5 अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में मामला दर्ज करा दिया था। दिसंबर 2018 में कमल नाथ सत्ता में आए, तो मामला ईडी को सौंप दिया गया।
इस तरह हुआ मामले का खुलासा
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के जल निगम के टेंडरों में गड़बड़ी से घोटाले का खुलासा हुआ। ई-प्रोक्योंरमेंट पोर्टल में टेम्परिंग कर करोड़ों रुपये के विभाग के तीन टेंडरों के रेट बदल दिए थे। यानी ई-पोर्टल में टेंपरिंग से दरें संशोधित कर टेंडर प्रक्रिया में बाहर होने वाली कंपनियों को टेंडर दिलवा दिया। मामला खुला तो तत्कालीन सरकार ने तीनों टेंडर निरस्त कर दिए। फिर लोक निर्माण विभाग, मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी), जल संसाधन विभाग और पीआईयू के टेंडरों में भी गड़बड़ी पकड़ी गई थी। इन विभागों में 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा की गड़बड़ी पकड़ी गई थी।
रस्तोगी ने किया था खुलासा
टेंडरों में हेर-फेर मामले का खुलासा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने किया था। मामला खुलने के बाद विभागीय जांच की गई और राजगढ़ और सतना जिलों की ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं के टेंडर रद्द किए गए।मप्र इलेक्ट्रानिक विकास निगम के ओएसडी नंदकुमार ब्रम्हे सहित अन्य कई आरोपितों को गिरफ्तार भी किया गया था।
सीबीडीटी की रिपोर्ट पर कमल नाथ ने कहा- ई टेडरिंग की भी जांच करें
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि सबकी जांच करें और जो खुलासा करना है, करें। राजनीतिक भावना से कार्रवाई की जा रही है। ई-टेंडरिंग मामले को लेकर उन्होंने कहा कि इसे जांच के लिए तो अगस्त 2018 में भाजपा सरकार ने ही भेजा था। हमारे समय में रिपोर्ट आई थी। मैं फंसाने वाली राजनीति नहीं करता हूं। आठ-दस साल से यह गड़बड़ी चल रहा थी। दक्षिण की कंपनी को तकनीकी पहलू जांचने का काम सौंपा था। उसने बताया था कि सात नहीं 107 टेंडर में गड़बड़ी हुई है। हमारी प्राथमिकता में कभी व्यापमं, ई-टेंडरिंग या अन्य घोटाले की जांच नहीं रही। यह होता, पर सब छोड़कर सिर्फ इसमें ही लगना हमारा मकसद नहीं था। कांग्रेस सरकार के समय दक्षिण की एक कंपनी को काम के पहले ही भुगतान किए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि मैंने तो उसका नाम तक नहीं सुना था। जबकि वह फर्म छिंदवाड़ा में पेंच सिंचाई परियोजना का काम भाजपा सरकार के समय से कर रही थी।