चालान को स्वीकार करने के लिए कोर्ट में 28 को सुनवाई
चिरायु मेडिकल कालेज सरकारी कोटे की सीटों को खाली रखकर बेचते थे
vyapam scam M.P: digi desk/BHN/ सीबीआइ ने गुरुवार को विशेष सत्र न्यायालय में चिरायू मेडीकल कालेज, तत्कालीन डीएमई सहित 60 लोगों के खिलाफ चालान पेश कर दिया। इस चालान में 57 नए आरोपित हैं और तीन पुराने हैं। इस पूरे फर्जीवाड़े में शामिल सरकारी कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा अलग से लगाई है। वहीं दूसरी ओर हाई कोर्ट ने आरोपितों को पांच-पांच करके बुलाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के आने के बाद आरोपितों के गिरफ्तारी वारंट नहीं निकल सके। विशेष न्यायालय पांच-पांच करके आरोपितों को कोर्ट में बुलाएगा। चालान को स्वीकार करने के लिए 28 जनवरी की तारीख निर्धारित की है।
चिरायू मेडीकल कालेज में शासन कोटे की 63 सीटें थी। वर्ष 2011 में 47 सीटों को गलत तरीके से खाली रखा गया। चिरायू मेडीकल कालेज का प्रबंधन मोटी रकम लेकर सीटों को बेच दी। ऐसे विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया, जिन्होंने काउंसलिंग में भाग नहीं लिया था। व्यापमं कांड के खुलासे के वक्त झांसी रोड थाने में तीन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। एसआइटी ने तीन लोगों के खिलाफ चालान पेश कर चुकी थी। वर्ष 2015 में यह केस सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ के हैंडओवर हो गया। सीबीआइ ने पांच साल इस मामले की जांच की। पांच साल की जांच में 57 नए आरोपित बनाए गए हैं। सरकारी कोटे की सीट छोड़ने वाले, सीट खरीदने वाले, चिरायु मेडीकल कालेज के प्रबंधन के अधिकारी, बिचौलियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। 60 लोगों के खिलाफ चालान पेश कर दिया।
देर शाम को हुआ चालान पेश
इनकी भूमिका अहम
- डा अजय गोयनका चिरायु मेडीकल कालेज के संचालक व ट्रस्टी थे। चिरायु फाउंडेशन के संचालन कि जिम्मेदारी दी गई थी। इनकी निगरानी में सीट बेचने का खेल हुआ था। एमपी पीएमटी काउंसिलिंग कमेटी को अपने कालेज की सीटों की गलत जानकारी दी। सीटों को रिक्त रखा गया। चिरायु के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. गिरीश कानितकर, चिरायु के प्रशासनिक अधिकारी डा. एसएन सक्सेना ने भी सीटों की गलत जानकारी देने में भूमिका निभाई।
- तत्कालीन डीएमई डा.एससी तिवारी व डीन डा.एनएम तीवारी ने सरकारी कोटे की सीटों पर निगरानी नहीं की। पैसे लेकर चिरायु मेडीकल कालेज को सरकारी कोटे की सीटें भरने दीं। इन पर भ्रष्टाचार की धाराएं लगाई गई हैं।
- जय प्रकाश बघेल, सर्वेश जादौन, जीआर मेडीकल के बाबू परमानंद बाधवा केस दर्ज होने के बाद इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। आरटीआई कार्यकर्ता आशीष चतुर्वेदी की शिकायत पर ये तीनों एसआइटी की रडार पर आए थे। परमानंद बाधवा जीआर मेडीकल कालेज से मूल दस्तावेज निकालकर देता था।
ऐसे खाली रखते थे सीटों को
- चिरायु मेडकील कालेज का प्रबंधन ऐसे मेधावी विद्यार्थियों पीएटी दिलाते थे, जो पूर्व से सरकारी मेडीकल कालेजों में एमबीबीएस कर रहे होते थे। जो विद्यार्थी पीएमटी पास कर लेता था, उसके कालेजों से मूल दस्तावेज निकलवा कर पीएमटी की काउंसलिंग में शामिल कराते थे। इस पूरे फर्जीवाड़े में जीआर मेडीकल कालेज के बाबू परमानंद बाधवा मदद करते थे।
- पूर्व से एमबीबीएस कर रहे विद्यार्थी काउंसलिंग में चिरायु मेडकील कालेज में सरकारी कोटे की सीट को अलोट कराते थे। काउंसिलिंग खत्म होने के बाद आखिरी समय में अपना प्रवेश निरस्त करा लेते थे। चिरायु मेडीकल कालेज में सरकारी कोटे की सीट खाली हो जाती थी। कालेज की खाली सीट को ऐसे विद्यार्थियों को बेचते थे, जिन्होंने काउंसलिंग में भाग नहीं लिया।
- पीएमटी देने वाले विद्यार्थियों को चिरायु मेडीकल कालेज का प्रबंधन मोटी रकम देता था।
- 47 सीटों को गलत तरीके से खाली रखा गया। जिसमें 39 सीटें बेची गईं थी।
फैक्ट फाइल
कुल आरोपित-60
- 60 आरोपितों में से 23 लड़िकयां है। 16 लड़के हैं। इन्होंने सीट खरीदकर एमबीबीए में प्रवेश लिया था।
- 8 चिरायु मेडीकल कालेज के प्रबंधन के अधिकारी हैं।
- तत्कालीनी डीएमई, डीन व बिचौलिये, सीटे छोड़ने वालों को आरोपित बनाया गया है।