- सफेद गठरी में बंधी बाडी लेते ही स्वजनों की नम हुईं आंखे
- डीएनए टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद 11 मृतकों की बाडी स्वजनों को सौंपी
- 27 दिसंबर की रात डंपर की टक्कर से बस पलट गई थी और धू-धू कर आग के हवाले हो गई थी
Madhya pradesh guna guna bus fire remains of those killed in guna bus fire handed over in bundles: digi desk/BHN/गुना/ अग्नि बस हादसे में मृत 11 यात्रियों की पहचान डीएनए टेस्ट से हुई, जिसकी रिपोर्ट रविवार को आ चुकी थी, लेकिन स्वजनों को बाडी सोमवार सुबह दी गईं। इस दौरान स्वजन सफेद गठरी में बंधी बाडी को ले रहे थे, तो उनकी आंखें नम हो रही थीं। खास बात यह कि कुछ स्वजन सीधे बाडी को इलाहाबाद ले गए, तो कुछ ने घर पहुंचकर अंतिम संस्कार की परंपरा पूरी की।
27 दिसंबर को हुआ था हादसा
दरअसल, 27 दिसंबर की रात डंपर की टक्कर से बस पलट गई थी और धू-धू कर आग के हवाले हो गई थी। इस हादसे में 13 सवारियां जिंदा जल गई थीं, जिनमें से 11 की शिनाख्त नहीं हो पाई थी। ऐसे में मृतकों के माता-पिता और भाइयों के ब्लड सैंपल लेकर फोरेंसिक लैब ग्वालियर भेजे गए। जिसकी रिपोर्ट रविवार को पुलिस को मिल गई थी, जिसकी सूचना भी स्वजनों को दी गई।
इसके बाद देर शाम स्वजन जिला अस्पताल बाडी लेने पहुंच भी गए थे, लेकिन पुलिस ने रात में अंतिम संस्कार न होने और बिना फ्रीजर बाडी खराब होने के चलते सोमवार सुबह बाडी लेने बुलाया। हालांकि, इस दौरान कुछ स्वजनों ने बुलाने के बाद बाडी न देने पर नाराजगी भी जताई, लेकिन उसके बाद लौट गए थे। इसी क्रम में सोमवार सुबह सभी की बाडी स्वजनों को दी गईं।
गम के माहौल के बीच थामी ‘अपनों’ के शवों की गठरी
इधर, जिला अस्पताल में जब 11 मृतकों के स्वजन पहुंचे, तो परिसर में गम का माहौल बन गया था। क्योंकि, मृत ‘अपनों’ के स्वजन जहां हादसे के पांच दिन बाद भी बाडी मिलने के इंतजार में पहले से गमजदा और परेशान थे, वहीं अस्पताल परिसर में मौजूद लोग भी एक साथ 11 शवों के अंगों की सफेद गठरी को देखकर गमजदा नजर आए।
स्वजन भी नम आंखों से बाडी की गठरी उठाकर वाहनों से ले जाते रहे। मृतक सक्षम राजावत की बाडी को स्वजन सीधे इलाहाबाद लेकर गए। वहीं शेष परिवारों ने बाडी लेकर घर पहुंचे, जहां अंतिम संस्कार किया। खास बात यह कि ज्यादातर मृतक आरोन क्षेत्र के थे, तो अंतिम यात्राएं निकलीं, तो हर कोई श्रद्धांजलि देता दिखा।