mpeb workers protest:digi desk/BHN/ प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण की सुगबुगाहट के साथ ही इसका विरोध भी तेज हो गया है। इस क्षेत्र में काम करने वाले 14 अधिकारी-कर्मचारी संगठन एकजुट हो गए हैं और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। इन संगठनों ने मिलकर प्रदेश में कोर कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी निजीकरण के विरोध का एजेंडा तय करेगी और प्रदेशभर में आंदोलनों को तेज करेगी। रविवार को कोर कमेटी की बैठक मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुई। इसकी जानकारी कमेटी में भोपाल से शामिल किए गए बीडी गौतम व अन्य राज्यस्तरीय सदस्यों ने दी है।
दरअसल, बिजली कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संगठन का आरोप है कि प्रदेश सरकार बिजली कंपनियों का निजीकरण करने जा रही है, जिसके बाद इनमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। स्वाभाविक है कि ये कंपनियां मनमर्जी से काम करेंगी और इसका नुकसान उपभोक्ताओं के साथ-साथ अधिकारियों-कर्मचारियों को भी उठाना पड़ेगा। इसी बात को आधार बनाते हुए अधिकारियों-कर्मचारियों ने एकजुटता दिखाई और विरोध के सुर तेज कर दिए हैं। अधिकारी-कर्मचारी पूर्व में भी निजीकरण के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं।
बीडी गौतम ने बताया कि निजीकरण के विरोध में प्रथम चरण में जनवरी में जनप्रतिनिधियों, ऊर्जा मंत्री, मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का विरोध किया जाएगा। बिजली उपभोक्ताओं व कर्मचारियों को निजीकरण के नुकसान बताते हुए जागरूक किया जाएगा। वृत्त स्तर पर मीटिंग कर सभी कर्मचारियों को निजीकरण के नुकसान व प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे। विधायकों, सांसदों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर निजीकरण वापस लेने की मांग करेंगे। आम उपभोक्ताओं को भी निजीकरण के नुकसान की जानकारी गेट-टुगेदर मीटिंग, इंटरनेट मीडिया व पोस्टर अभियान चला कर देंगे। जनवरी में ही अगली प्रदेश स्तर की मीटिंग ग्वालियर व उसके बाद जबलपुर में करेंगे। 10 जनवरी तक आंदोलन की रूपरेखा तय कर लेंगे।