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Satna: वापस लौटा नई बस्ती से कब्जा हटाने पहुंचा सरकारी अमला, धरने पर बैठ गए विधायक, अदालत ने दिया था आदेश

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ अतिक्रमण और बेजा कब्जों की चपेट में फंसे शहर के नई बस्ती क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने पहुंचे सरकारी अमले को बेरंग वापस लौटना पड़ा। अदालत के आदेश की तामीली कराने न्यायालयीन कर्मचारियों के साथ गई नगर निगम की टीम और पुलिस को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। विधायक खुद भी मौके पर पहुंच गए और कुर्सी जमा कर बैठ गए। जानकारी के मुताबिक शहर के वार्ड नंबर 14 अंतर्गत नई बस्ती में बदखर व भल्ला डेयरी फार्म के पास स्थित कमलेश त्रिपाठी वगैरह की आराजियों के संबंध में प्रथम व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड श्वेता सिंह ने डिक्री आदेश पारित किया था। अदालत ने डिक्री धारी को मौके पर कब्जा दिलाने के लिए कब्जा वारंट जारी किया था और पुलिस अधीक्षक तथा नगर निगम आयुक्त को आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था के लिए पत्र भी लिखा था। अदालत के इसी कब्जा वारंट की तामीली कराने सोमवार को कोर्ट के मुलाजिम,नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते और पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन इससे पहले कि कार्यवाही शुरू हो पाती वहां अतिक्रमणकारियों ने अन्य स्थानीय लोगों के साथ मिलकर विरोध शुरू कर दिया। देखते ही देखते लोगों का हुजूम जुड़ गया। कुछ ही देर में सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा भी वहां आ पहुंचे और लोगों के बीच कुर्सी लगा कर बैठ गए। विधायक ने भी कार्यवाही का विरोध कर रहे लोगों का समर्थन किया। हालात तनावपूर्ण होने की आशंका के मद्देनजर अतिरिक्त फोर्स को भी मौके पर बुला लिया गया।
एक ढेला भी नहीं हटा
सरकारी अमले ने अदालत का आदेश दिखाते हुए बेदखली की कार्रवाई करने की बात कही लेकिन किसी ने एक न सुनी। काफी देर तक चली नोक झोंक के बाद आखिर सरकारी लाव लश्कर को बिना एक मिट्टी का ढेला हटाए ही वापस लौटना पड़ा। डिक्री धारी कमलेश त्रिपाठी ने बताया कि जिस जमीन को खाली कराया जाना है वह दशकों से निजी स्वत्व की भूमि थी लेकिन वर्ष 2012 में कुछ सरकारी लोगों ने भू माफिया के साथ साठगांठ कर उस जमीन को सरकारी बना दिया।माफिया ने कुछ जमीन बेच दी जबकि कुछ पर तमाम लोगों ने कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिए।
ये आया प्रकरण में सामने
ये मामला अदालत पहुंचा तो वहां भी यह तथ्य स्थापित हुआ कि निजी जमीन को कूटरचित प्रयासों के जरिए शासकीय किया गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर कुछ अवैध निर्माण हटा भी दिए गए लेकिन लगभग दर्जन भर बेजा कब्जे अभी भी नहीं हटे। विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को विधानसभा में प्रश्न उठाने पर शासन की तरफ से यह जवाब भी मिल चुका है कि कमलेश त्रिपाठी वगैरह का पट्टा वैध है और उनकी आराजियों पर बेजा निर्माण किया गया है।

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