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शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण के चलते सूतक से पहले लगेगा खीर का भोग, मोक्षकाल के बाद सेवन उत्तम

  1. शरद पूर्णिमा पर इस बार रहेगा वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण
  2. दर्शन-पूजन और व्रत को लेकर उपजा संशय
  3. – ग्रहण से 9 घंटे पहले शाम 4.05 पर लगेगा सूतक काल, एक घंटे 17 मिनिट रहेगी अवधि

Spiritual vrat tyohar due to lunar eclipse on sharad purnima kheer will be offered before sutak best to consume after mokshakaal: digi desk/BHN/इंदौर/ इस वर्ष सुख-समृद्धि की देवी महालक्षमी के प्राकट्य दिवस शरद पूर्णिमा पर 28 अक्टूबर शनिवार को वर्ष का अंतिम खंडग्रास चंद्र ग्रहण रहेगा। इसके चलते व्रत-पूजन और दर्शन को लेकर आमजनमानस में संशय उपजा हुआ है। इसके साथ ही सोलह कलाओं से पूर्ण चंद्रमा की अरोग्यदायिनी किरण के समावेश वाले खीर को खुले आसमान में रखने और सेवन को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

इस पर ज्योर्तिविदों के बीच कुछ मतभेद बीच बताया जा रहा है कि ग्रहण के सूतककाल से पहले आराध्य को खीर का भोग लगाए, उसमें तुलसी के पत्ते रखे।ग्रहण के मोक्ष काल बाद खुले आसमान के नीचे खीर को रखकर फिर उसका सेवन करना उत्तम रहेगा।

इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को सुबह 4.17 से रात 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इस दिन चंद्रोदय शाम 5.20 बजे लगेगा।चंद्रग्रहण से सूतक 9 घंटे पहले शाम 4 बजकर 5 मिनिट पहले लगेगा। ग्रहण रात 1.05 बजे से रात 2 बजकर 22 मिनिट तक एक घंटा 17 मिनिट रहेगा। इस दौरान प्रारंभ रात 1.05, मध्यकाल रात 1.44 और मोक्षकाल रात 2.22 बजे रहेगा।

ज्योर्तिविद् विनायक पांडे का कहना है कि इस वर्ष कोजागिरी पूर्णिमा पर जनमानस में उपजे संशय का समाधान शास्त्रों के अनुसार किया जा रहा है। इस दिन खीर का भोग भी लगेगा और उसका सेवन भी होगा, बस इसके लिए समय का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। खीर का भोग सूतक काल से पहले भगवान को लगाए। उसमें तुलसी का पत्ता डाले। इसमें मोरधन और साबुदाने का उपयोग करे तो ज्यादा उपयुक्त होगा।

इसे चंद्रोदय पर खुले आसमान पर रख सकते है या मोक्षकाल के बाद रखे तो अधिक उपयुक्त होगा। इसके बाद सेवन करे। इस दिन मध्यरात्रि को महालक्षमी पूजन किया जाता है। जो लोग महालक्षमी पूजन कुल परंपरानुसार करते है वे स्नान कर कर सकते है लेकिन मूर्ति स्पर्श नहीं करे।पूजन ग्रहण की अवधि को छोड़कर कर सकते हैं, क्योंकि ग्रहण से अधिक इस पूजन की महत्ता है। इस दिन कोजागिरी व्रत भी किया जाएगा। व्रत-उपवास में ग्रहण बाधक नहीं है।

यह दिखाई देगा ग्रहण

आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार वर्ष के अंतिम चंद्र ग्रहण का व्यापक प्रभाव इंदौर सहित भारत में देखा जाएगा। इसके चलते इसका सूतक भी लगेगा जिसके चलते धार्मिक कार्य भी प्रभावित होंगे। ग्रहण भारत, आस्ट्रेलिया, संपूर्ण एशिया, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी अमेरिका, उत्तरी अमेरिका में भी दिखाई देगा। ग्रहण काल में मूर्ति को स्पर्श करना निशेध माना गया है। हालांकि सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चे वृद्ध जन भोजन करे तो दोष नहीं लगता है।सूतक काल के आरंभ होने से पहले भोजन व अन्य वस्तुओं में तुलसी का पत्ता डाले।ग्रहण 12 फीसद तक नजर आएगा।ग्रहण का सकारात्मक लाभ मिथुन, मकर और कुंभ को प्राप्त होगा।

सूतक काल में नहीं होंगे खजराना गणेश के दर्शन-पूजन

खजराना गणेश मंदिर के पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि सूतक काल से खजराना गणेश के दर्शन-पूजन भक्त नहीं कर सकेंगे। इस दौरान प्रसाद भी नहीं चढाया जाएगा और वितरण भी नहीं होगा। संध्या की महाआरती भी नहीं होगी। गर्भगृह में पर्दा लगाया जाएगा।भक्त मूर्ति के समक्ष हाल में बैठकर जाप-पाठ कर सकेंगे।

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