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Election: MP में अब संघ के जरिए दूर की जाएगी भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी

  • भाजपा नेताओं के साथ हुई संघ की बैठक
  • हर विधानसभा क्षेत्र में भेजे जाएंगे स्वयंसेवक
  • विधायक और मंत्रियों के एकाधिकार के कारण बहुत सारे कार्यकर्ता लंबे समय से उपेक्षित

MP elections 2023 rss volunteers will pacify angry bjp workers: digi desk/BHN/भोपाल/ भारतीय जनता पार्टी ने मप्र विधानसभा चुनाव के लिए अब तक जिन 136 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए है, उनमें से कई सीटों पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इसे दूर करने के लिए अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक मैदानी मोर्चा संभालेंगे। दरअसल, संघ की मध्य क्षेत्र इकाई ने भी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में संयुक्त रूप से सर्वे करवाया है।

सर्वे रिपोर्ट के बाद फैसला

सर्वे रिपोर्ट के अध्ययन के बाद संघ नेताओं ने निर्णय किया है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी स्वयंसेवकों के जरिए दूर की जाएगी। फीडबैक के मुताबिक कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायक और मंत्रियों के एकाधिकार के कारण बहुत सारे कार्यकर्ता लंबे समय से उपेक्षित हैं।

स्‍वयंसेवक को बनाएंगे विधानसभा का प्रभारी

इसका असर चुनाव पर न पड़े, इसलिए संघ सक्रिय हो गया है। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में एक स्वयंसेवक को प्रभारी बनाकर भेजा जाएगा। बाकायदा कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं की टीम बनाई जाएगी, जो संघ नेताओं और संगठन नेताओं की मदद से कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने का काम करेगी। खासतौर से संघ उन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान दे रहा है, जहां मौजूदा विधायक या मंत्रियों को ही टिकट दिए गए हैं। संभावना है कि ऐसी सीटों पर भितरघात भाजपा को संकट में डाल सकता है।

आरएसएस की सक्रियता बढ़ी

बता दें कि गुरुवार को संघ के मध्यभारत प्रांत की बैठक हुई, जिसमें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद और संभाग प्रभारी मौजूद थे। गुरुवार को ही भाजपा के दिग्गज नेताओं ने संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के प्रमुख व क्षेत्र प्रचारक दीपक बिस्पुते के साथ भी बैठक की। चुनाव की उल्टी गिनती आरंभ होने के साथ ही मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता बढ़ गई है।

सह सरकार्यवाह अरुण कुमार को किया सक्रिय

संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार को इन दिनों एक बार फिर मप्र में सक्रिय किया गया है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान मप्र में सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने ही संघ की ओर से मोर्चा संभाला था। पहले अरुण कुमार का मुख्यालय भी भोपाल ही था, इसलिए उन्हें मप्र की राजनीतिक परिस्थितियों का अच्छा अध्ययन है। बैठक में तय किया गया कि विधानसभा चुनाव के दौरान कोई बागी चुनाव न लड़े, सभी सीट पर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी के कारण माहौल खराब न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।

सर्वे रिपोर्ट और प्रवास में मिली ये जानकारी

फिलहाल, सर्वे रिपोर्ट और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के प्रवास में पता चला है कि कई विधायक और मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की है, साथ ही उन्हें न तो संगठन में एडजस्ट होने दिया गया और न ही किसी अन्य जगह समायोजित किया गया। पूरे कार्यकाल में विधायकों ने सिर्फ अपनों को ही उपकृत किया है।

इस संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि चुनाव में सबक सिखाने के उद्देश्य से उपेक्षित कार्यकर्ता घर बैठ सकते हैं। ऐसा हुआ तो चुनाव में कई क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि भाजपा पिछले कई महीनों से नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने का प्रयास कर रही है।

बड़े नेताओं को जिलों की बागडोर

पार्टी के 14 बड़े नेताओं को पांच-पांच जिलों की बागडोर सौंपकर फीडबैक जुटाया गया। बड़े नेताओं के दौरों में कई कार्यकर्ताओं ने चेतावनी भरे अंदाज में अपना संदेश भी दिया था। संगठन में इस मुद्दे पर भारी खलबली मची हुई है। यही वजह है कि राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश प्रदेश कार्यालय में भी बाहर से आने वाले कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं, साथ ही नाराज कार्यकर्ताओं से भी संपर्क कर रहे हैं।

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