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AI Cloning App Fraud: वाइस क्लोनिंग से फ्राड, जालसाज परिचित की आवाज से काल कर लोगों को लगा रहे चूना

  1. क्लोनिंग एप के माध्यम से नकली आवास से किया जा रहा फ्राड
  2. परिचित बनकर फोन पर की जा रही है पैसों की मांग
  3. हू-ब-हू आवाज के फेर में फंसकर लोग हो रहे ठगी के शिकार

Madhya pradesh balaghat fraud is being done through cloning app people are being cheated artificial voice: digi desk/BHN/बालाघाट/ पिछले महीने शहर के रामगली में एक मोबाइल कारोबारी को अपने पड़ोस के मोबाइल व्यापारी के नाम से फोन आया और मुसीबत में फंसने के कारण पैसों की मांग की गई। कारोबारी ने अनजान नंबर से आए फोन पर हू-ब-हू आवाज सुनकर उसकी बाताें को सच मान लिया और 25 हजार आनलाइन ट्रांसफर कर दिए। कुछ देर बाद वही व्यापारी उसकी दुकान आया, तब पैसे भेजने वाले कारोबारी को हाेश उड़ गए। ऐसा फर्जीवाड़ा एक नहीं बल्कि ऐसे कई लोगों के साथ हो रहा है।

वाइस क्लोनिंग एप से ऐसे करते हैं ठगी

परिचित बनकर फोन पर परेशानी में होने या घर के किसी सदस्य का नाम लेकर पैसों की मांग की जा रही है, जिसके जाल में फंसकर लोग अपनी कमाई गंवा रहे हैं। बालाघाट जैसे छोटे जिले में हर महीने ऐसे 10 से 15 मामले सामने आ रहे हैं और समय के साथ ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। साइबर विशेषज्ञ की मानें तो ये वाइस क्लोनिंग एप के माध्यम से किया जा रहा फ्राड है, जो बालाघाट में भी पैर पसार चुका है। हालांकि, पुलिस ने ऐसे काल के पीछे वाइस क्लोनिंग की पुष्टि नहीं की है, लेकिन पीड़ितों के बयानों के आधार पर ऐसे मामलों में इसी एप के जरिए फर्जीवाड़ा की आशंका प्रबल हो गई है।

पिछले एक साल में ही करीब 120 से 140 लोग इसके शिकार हो चुके हैं। इसमें पीड़ित ये नहीं समझ पाता कि फोन पर बात करने वाला या पैसे मांगने वाला उसका परिचित ही या नहीं। हू-ब-हू आवाज के फेर में फंसकर पीड़ित तत्काल पैसे भेज देता है। बढ़ते मामलों के बाद भी सचेत नहीं लोग कोतवाली स्थित साइबर नोडल शाखा में बुधवार और गुरुवार को परिचित बनकर ठगी के शिकार के मामले सामने आए हैं।

आनन-फानन में ट्रांसफर की 50 हजार रुपये की राशि

बुधवार को पेशे से वकील एक व्यक्ति को उसका दोस्त बनकर काल आया और पैसों की मांग की गई। वकील ने आनन-फानन में 50 हजार रुपये की राशि ट्रांसफर कर दी। कुछ देर बाद कटंगी क्षेत्र का एक ग्रामीण शिकायत लेकर पहुंचा कि उसे परिचित बनकर एक व्यक्ति ने दस हजार रुपये मांगे और उसने उसकी आवाज सुनकर पैसे ट्रांसफर कर दिए, लेकिन बाद में मालूम हुआ कि संबंधित परिचित ने ऐसा काल ही नहीं किया।

साइबर नोडल शाखा में पदस्थ आरक्षक चांदनी शांडिल्य ने बताया कि परिचित बनकर ठगी के जिलेभर से लगातार शिकायतें आ रही हैं, लेकिन बढ़ते मामलों के बाद भी लोग सचेत नहीं हैं। जागरूकता के अभाव में लोग न काल करने वाली पुष्टि करते हैं और न ही पूछताछ करते हैं।

क्या है वाइस क्लोनिंग एप

आर. मेघा तिवारी ने बताया कि जिस तरह पीड़ित ये नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्हें पैसों के लिए फोन करने वाला शख्स ठग या नहीं, इससे जाहिर है कि ऐसे फर्जीवाड़े के पीछे वाइस क्लोनिंग एप है। दरअसल, जालसाज वाइस क्लोनिंग एप के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ठगी के लिए नया टूल उपयोग कर रहे हैं। इसमें जालसाज लोगों से उनके रिश्तेदार, दोस्त या करीबी बनकर उधार या किसी मुसीबत में फंसे होने की झांसा देकर रकम मांगते हैं। इस एप के जरिए किसी व्यक्ति की आवाज हू-ब-हू उसकी आवाज से मेल खाती है और व्यक्ति भ्रमित हो जाता है। वाइस क्लोनिंग एप के जरिए ठगी के मामले बड़े शहरों में सामने आ रहे हैं, लेकिन जालसाज अब बालाघाट जैसे छोटे जिले में भी लोगों को ठग रहे हैं।

एलआईसी के बोनस के नाम पर 99 हजार ऐंठे

साइबर नोडल शाखा में एक अन्य मामले के तहत किरनापुर में पदस्थ एक नर्स ने शिकायत दर्ज कराई। पीड़िता के अनुसार, उसके पिता की एलआइसी में पालिसी है, जिसके बाेनस की राशि के लिए अनजान नंबर से फोन आया। ठग ने बताया कि बोनस की राशि आपके पिता के बैंक खाते में ट्रांसफर नहीं हाे रही है इसलिए आप अपना बैंक खाता या फोन-पे नंबर बताएं। पीड़िता ने फोन-पे नंबर दिया, जिस पर ठग ने लिंक भेजा। लिंक पर क्लिक करते ही पीड़िता को कन्फर्म करने के लिए एक रुपये भेजने कहा। बातों में उलझाकर ठग ने पीड़िता से यूपीआई पिन पूछ लिया और खाते से 99 हजार रुपये पार कर दिए। पीड़िता की शिकायत पर साइबर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

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