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MP: कोई माई का लाल आरक्षण व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकता – उमा भारती

Madhya pradesh bhopal mp news no mai ka lal can end the reservation system uma bharti: digi desk/BHN/भोपाल/जब तक समाज में एक भी व्यक्ति अपने अधिकारों से वंचित रहेगा, तब तक आरक्षण खत्म नहीं किया जा सकता। यह लागू रहेगा क्योंकि आरक्षण का मतलब है विषमतायुक्त समाज में समान अवसर का सिद्धांत लागू नहीं होता, विषमतायुक्त समाज में विशेष अवसर का सिद्धांत लागू होता है। ये आरक्षण का मतलब है। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने राजधानी के रवींद्र भवन में गांधी जयंती पर आयोजित गोरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम का आयोजन माता बेटीबाई सोशल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा किया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं।

ओबीसी कोटे बगैर नहीं बनेगी बात

उमा भारती ने एक इंटरव्यू का वाकया सुनाते हुए कहा कि या तो देश की व्यवस्था ही ऐसी हो जाए कि आरक्षण की स्थिति ना रहे। वो स्थिति तब आएगी जब एसटी, एससी खुद कहे कि हमें आरक्षण नहीं चाहिए।उससे पहले आरक्षण खत्म नहीं किया जा सकता। कोई माई का लाल आरक्षण की व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकता। इस दौरान उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ में ओबीसी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण ना मिलने पर अपनी ही पार्टी को घेरा। उन्होंने कहा कि ये बिल पारित भले हो गया हो, लेकिन ओबीसी महिलाओं को आरक्षण दिए बिना यह लागू नहीं हो पाएगा। यह पारित भले हो गया हो, लेकिन ओबीसी महिलाओं को आरक्षण के साथ ही लागू होगा। ये महिलाएं जब संसद में जाएंगी, विधानसभा में बैठेंगी और शासकीय व्यवस्था को चुनौती देंगी।

60 प्रतिशत ओबीसी को नकार नहीं सकते

उमा भारती ने कहा कि एससी, एसटी को संवैधानिक व्यवस्था के तहत आरक्षण मिल जाएगा। सवर्ण लोगों को गरीबी के आधार पर नौकरियों में 10% आरक्षण मिल जाएगा, लेकिन ओबीसी महिलाओं को साथ लेकर मैं संसद के अंदर प्रवेश करना चाहती हूं। ये मेरी इच्छा है। सामाजिक समरसता का मतलब आप 60% लोगों की ताकत को नकार नहीं सकते। उनकी शक्ति टुकड़ों-टुकड़ों में बंट गई है तो यह एकत्रित होकर मूर्ति बनेगी।

एक देश, एक चुनाव का किया समर्थन

उमा ने एक देश एक चुनाव का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभी बातों में एक भाव रहता है। उस भाव को जमीन पर क्रियान्वित करने में बहुत सी अड़चनें हैं। जब देखों चुनाव, चुनाव ही होते रहते हैं। ये चुनाव सबसे बड़ी परेशानी है। ऐसा लगता है कि पूरे समय लड़े ही जा रहे हैं। एक देश, एक चुनाव बहुत जरूरी है। लोकसभा, विधानसभा ही नहीं बल्कि नगर पालिका, नगर पंचायतों का चुनाव भी साथ में होना चाहिए।

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