- पति-पत्नी की चिता के पास ही दफनाये गये बच्चों के शव
- अम्बा गाँव के ग्रामीणों की हुई आंखे नम, कई घरों में नही जला चूल्हा
- परिजनों का आरोप यह आत्महत्या नही हत्या है
- ऑनलाइन लाइन एप ने लील लीं चार जिंदगियां
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ ऑनलाइन ऐप के जाल में फंसे रीवा जिले के मूल निवासी भोपाल में रहने वाले एक दंपती ने अपने दो बेटों को जहर देकर मार डाला, फिर सुसाइड कर लिया। गुरुवार को दंपती के शव घर में फांसी के फंदे पर लटके मिले। रातीबड़ की शिव विहार कॉलोनी में रहने वाले भूपेंद्र विश्वकर्मा (38) कोलंबिया बेस्ड एक कंपनी में ऑनलाइन जॉब करते थे। भूपेन्द्र और उनका परिवार रीवा के अम्बा गाँव का रहने वाला था गुरुवार को हुई इस दर्दनाक घटना ने समूचे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है।
रीवा के अंबा गांव में एक ही परिवार के चार शवों का अंतिम संस्कार हुआ तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। ये शव भोपाल में रह रहे भूपेंद्र विश्वकर्मा, उनकी पत्नी रितु, दोनों बेटों ऋषिराज और ऋतुराज के थे। परिवार के चार सदस्यों को एक साथ खोने वाले परिजन निराश होने के साथ ही आक्रोशित भी हैं। अंतिम संस्कार से पहले उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के साथ चारों शवों को जबलपुर-प्रयागराज नेशनल हाईवे पर रखकर चक्काजाम कर दिया था। इस दौरान हाईवे के दोनों तरफ 5 किलोमीटर तक वाहनों की लाइन लगी रही।
मामला बढ़ता देख SDM अनुराग तिवारी, नायब तहसीलदार यतीश शुक्ल, बनकुइया सर्किल की नायब तहसीलदार ममता पटेल, CSP शिवाली चतुर्वेदी, विश्वविद्यालय थाना प्रभारी विद्या वारिधि तिवारी, चोरहटा थाना प्रभारी अवनीश पाण्डेय, महिला थाना प्रभारी निशा मिश्रा और यातायात सूबेदार अखिलेश कुशवाहा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
चक्काजाम कर रहे लोगों की मांग थी कि एक करोड़ रुपए मुआवजा, परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी और मामले की CBI जांच कराई जाए। काफी समझाइश के बाद भी वे प्रदर्शन खत्म करने पर तैयार नहीं हुए। इस पर भोपाल पुलिस ने आश्वासन दिया कि केस की विस्तृत जांच की जाएगी। जरूरत पड़ेगी तो CBI जांच करवाई जाएगी। विश्वकर्मा परिवार को 25 हजार रुपए की तत्काल मदद भी की गई। पांच हजार पंचायत, 10 हजार SDM और 10 हजार विधायक निधि से दिए गए। मदद और आश्वासन मिलने के बाद चक्काजाम समाप्त कर दिया गया।
भोपाल के रातीबड़ में भूपेंद्र विश्वकर्मा (38) ने गुरुवार को अपने दोनों बच्चों ऋषिराज (9) और ऋतुराज (3) को जहर पिला दिया था। इसके बाद पत्नी रितु (35) के साथ फांसी लगाकर सुसाइड कर ली थी। गुरुवार-शुक्रवार की दरम्यानी रात तीन बजे परिजन चारों के शव लेकर पैतृक गांव अंबा पहुंचे। शुक्रवार सुबह अंतिम संस्कार के लिए चार अर्थी श्मशान घाट के लिए एक साथ रवाना हुईं, लेकिन परिजन शव लेकर हाईवे पर बैठ गए।
परिजन का आरोप – घर का दरवाजा तोड़कर हत्या की गई
मृतक के परिजन का आरोप है कि घर का दरवाजा तोड़कर चारों लोगों की हत्या की गई है। घटना से एक महीने पहले भोपाल साइबर सेल को इससे संबंधित एक शिकायत की गई थी। लेकिन कुछ नहीं किया गया। परिवार वालों ने कहा कि प्रशासन द्वारा दस हजार रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है। मुआवजे की राशि को कम बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के खिलाफ नारेबाजी की। हालांकि, चक्काजाम के दौरान वहां पहुंचीं एम्बुलेंस को निकलने दिया गया।
चक्काजाम से हाईवे के दोनों तरफ वाहनों की लंबी-लंबी कतार लग गई। प्रशासनिक अमले ने वाहनों को 50 KM दूर बेला-गोविंदगढ़-लोही-रतहरा होकर प्रयागराज के लिए निकाला। समझाइश देने पहुंचे तहसीलदार यतीश शुक्ला की भाषा से मृतक के परिजन नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, उसके बाद भी प्रशासन हमें डरा रहा है। जब तक कलेक्टर हमसे मिलने नहीं आते, तब तक आंदोलन करते रहेंगे।
फांसी लगती तो जीभ और आंख बाहर निकल आती–पिता
भूपेंद्र के पिता शिवनारायण विश्वकर्मा का कहना है कि हमारे बेटे, बहू और पोतों का मर्डर किया गया है। फांसी लगती तो जीभ और आंख बाहर निकल आती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जहर खाने के बाद पोतों को उल्टी भी नहीं हुई।
पड़ोसी दिनेश विश्वकर्मा ने कहा, ‘चारों लोगों के मर्डर हुए हैं, हमें न्याय चाहिए। जिस कंपनी ने मारा है, उस पर केस होना चाहिए। शासन से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। भूपेंद्र के चाचा ने कई बार यहां से पैसे भेजे हैं। उसने बताया था कि मैं कर्ज से मुक्त हो चुका हूं। सभी का मर्डर किया गया है और सुसाइड नोट जबरदस्ती लिखवाया गया है।’
भूपेंद्र ऐसा कदम नहीं उठा सकता– गांव और परिवार के लोग सोच-सोचकर परेशान
अंबा गांव में रहने वाले जितेन्द्र विश्वकर्मा ने बताया कि भूपेंद्र के पिता शिवनारायण विश्वकर्मा रोडवेज कर्मचारी रहे हैं। उनकी तीन बेटियां और दो बेटे थे। दोनों बेटे भोपाल में ही रहते थे। बड़ा बेटा नरेंद्र विश्वकर्मा मंत्रालय के सामने वाली कॉलोनी और छोटा बेटा भूपेंद्र विश्वकर्मा रातीबड़ में रहता था। भूपेंद्र निजी बैंक में इंश्योरेंस का काम करता था। अचानक ऐसा क्या हो गया, जो भूपेंद्र ने इतना बड़ा कदम उठा लिया, गांव और परिवार के लोग ये सोच-सोचकर परेशान हैं। उनका कहना है कि हमारा बेटा ऐसा कदम नहीं उठा सकता।
13 साल पहले हुई थी शादी
पड़ोसियों ने बताया कि भूपेंद्र विश्वकर्मा की शादी 13 साल पहले सतना जिले के ककरा गांव की रितु से हुई थी। दोनों अपनी गृहस्थी में खुश थे। दो बेटे भी हुए। पता नहीं, परिवार को किसकी नजर लग गई। जवान बेटे, बहू और दो पोतों की मौत से शिवनारायण विश्वकर्मा का रो-रोकर बुरा हाल है। बीती शाम मोहल्ले के कई घरों में चूल्हा नहीं जला।