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Sawan: भगवान शिव के पूजन में इन बातों का रखें ध्यान, तभी मिलेगा पूजा का फल

Vrat tyohar sawan 2023 keep these things in mind while worshiping lord shiva then only you will get the result of worship: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हिंदू धर्म में सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। इस महीने में भक्त रोजाना भगवान शिव की पूजा करते हैं और कम से कम सोमवार को शिवलिंग पर जल जरुर चढ़ाते हैं। महिलाएं भी पूरा आस्था के साथ सोमवार का व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास का हर दिन शिव कृपा बरसाने वाला माना गया है। वहीं सोमवार के दिन शिव पूजन का कई गुना ज्यादा फल देनेवाला माना गया है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करते वक्त उनसे जुड़े कुछ नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, वरना आपको पूजा का फल नहीं मिलेगा। तो चलिए आपके बताएं कि 31 अगस्त तक चलनेवाले इस सावन मास में भगवान शिव के पूजन का पुण्यफल पाने के लिए आपको किन नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

कैसे चढ़ाएं जल

सावन के महीने में शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है। लेकिन शिवलिंग पर जल या दूध चढ़ाने से पहले पात्र का विचार करें। भगवान को स्टील या तांबे के लोटे से चल या दूध नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें दूध चढ़ाने के लिए पीतल के बर्तन का प्रयोग करें।

बेलपत्र के नियम

भगवान शिव की पूजा में चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र को सोमवार के दिन नहीं तोड़ा जाता है। ऐसे में इसे एक दिन पूर्व ही तोड़कर रख लें। शिवलिंग पर बेल चढ़ाने से पहले देख लें कि वह कटा-फटा न हो। बेलपत्र में तीन पत्ते अवश्य होने चाहिए। साथ ही उसे सीधा चढ़ाएं ताकि उसकी चिकनी परत ऊपर की तरफ रहे।

क्या करें अर्पित

सोमवार के दिन भगवान शिव का विशेष रूप से दुग्धाभिषेक किया जाता है। इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। दूध अर्पित करने से चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं और चंद्र दोष दूर होता है। साथ ही इस दिन खुद दूध का सेवन ना करें। शिव की पूजा करते समय उन्हें तुलसी पत्र, सिंदूर आदि न चढ़ाएं और न ही शिव की पूजा में शंख से जल चढ़ाएं। शिव पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित है। शिवजी को सिंदूर के बजाए चंदन लगाएं।

शिव की परिक्रमा

सावन में सोमवार की पूजा करते समय शिवलिंग या महादेव की मूर्ति की पूरी परिक्रमा न करें। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव की सिर्फ आधी परिक्रमा की जाती है। साथ ही उन पर चढ़ाए गये जल को ना लांघें। व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक चीजों से दूर रहें।

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