Helth alert: digi desk/BHN/ यदि आपके घर, परिवार में, दोस्तों में या परिचय क्षेत्र में किसी को डायबिटीज है तो आप कुछ बातों को लेकर उन्हें सतर्क कर सकते हैं। असल में, यह एक धीमा ज़हर है। यह धीरे-धीरे इंसान के शरीर को खत्म कर देता है। यह एक लंबी बीमारी है और शरीर के साथ ही यह मस्तिष्क पर भी बुरा असर डालती है। नए शोध बताते हैं कि डायबिटीज शारीरिक कमजोरी के अलावा शरीर में मल्टीपल आर्गन फैल्योर के लिए भी जिम्मेदार है। अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज (मधुमेह) है तो उसे सर्तकता बरतने की बहुत जरूरत है। इस बीमारी से ना केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क भी बुरी तरह प्रभावित होता है। पंजाब यूनिवर्सिंटी के यूनिवर्सिंटी ऑफ फार्मास्युटिकल्स एंड साइंस विभाग की विज्ञानी प्रो. कंवलजीत चोपड़ा की ओर से किए गए शोध में यह तथ्य सामने सामने आए हैं। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक भारत में 2019 तक मधुमेह के मरीजों की संख्या 7.7 करोड़ थी। कोरोना संक्रमित कई लोगों को डायबिटीज से भी पीड़ित बताया जा रहा है।
शोध में हुए इतने खुलासे
शोध से यह पता चला है कि मधुमेह इंसान के दिमाग पर जो प्रभाव डालता है, उस वजह से उसकी याददाश्त भी कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में भूलने की समस्या आम हो जाती है। साथ ही ब्रेन डैमेज और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। प्रो. कंवलजीत ने इस बात का पता लगाने के लिए नेफ्रोपैथी और न्यूरोपैथी किस्म को लिया। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण काम डायबिटिक एंसेफैलोपैथी के क्षेत्र में किया गया है, जिसमें उन्होंने मधुमेह याददाश्त को कैसे प्रभावित करता है, इस पर कुछ अग्रणी काम किए हैं। उन्होंने रिवर्स फार्माकोलॉजी दृष्टिकोण पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया।
हो सकते हैं इतने नुकसान
मधुमेह से पीड़ित मरीज को दिल का दौरा पड़ने, स्ट्रोक, अंधापन, किडनी फेल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा आंख, त्वचा और किडनी से जुड़ी बीमारियों के पीछे डायबिटीज मुख्य वजह है। टाइप-2 डायबिटीज से प्रभावित सात फीसद लोगों में डायबिटी.ज की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी की शुरुआत का पता चल जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राईग्लिसराइड और लो एचडीएल को इनके पीछे खास तौर पर जिम्मेदार पाया गया है।