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National: संतों के जरिए सरकार को ताकत दिखाना चाहते थे बृजभूषण! इसलिए रद्द हुई 11 लाख लोगों की रैली

Brij bhushan wanted to show power to government through saints why the rally of 11 lakh people canceled: dig desk/BHN/नई दिल्ली/ भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की ’11 लाख लोगों की भीड़’ के साथ होने वाली रैली अयोध्या में रद्द हो गई। रद्द हुई इस रैली के आधिकारिक कारण जो भी हों लेकिन उसके सियासी मायने उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली के राजनीतिक गलियारों से निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में इस रैली के माध्यम से न सिर्फ संत समाज के साथ मिलकर अपनी ताकत दिखाना चाहते थे। बल्कि उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली सरकार को संदेश भी देने की एक बड़ी कोशिश मानी जा रही थी। राज्य सरकार ने धारा 144 का उल्लेख करते हुए इस रैली की अनुमति नहीं दी। 

अंदरूनी टकराहट की आहट भी थी 

बीते कुछ समय से बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में ग्यारह लाख लोगों की भीड़ जुटाकर एक बड़ी जनचेतना रैली करने की बात कर रहे थे। इसको लेकर न सिर्फ बृजभूषण शरण बल्कि उनके कार्यकर्ता और समर्थक भी लगातार उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर जनसभाएं और रैलियां तथा घर घर जाकर लोगों से संपर्क भी कर रहे थे। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बृजभूषण शरण के जो दावे थे उसमें 11 लाख लोगों की भीड़ आने का जिक्र था। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार मनीष मिश्रा कहते हैं कि निश्चित तौर पर इस रैली के माध्यम से अपनी ताकत का एहसास तो कराना ही चाहते थे। क्योंकि चुनाव का वक्त है और भारतीय जनता पार्टी खुद बड़े नेताओं के माध्यम से एक महीने का महा जनसंपर्क अभियान कर रही है। ऐसे में एक नेता की ओर से की जाने वाली लंबी चौड़ी भीड़ वाली रैली से अंदरूनी टकराहट की भी आहट सुनाई पड़ रही थी।

सरकार भी नहीं चाहती थी कि खुले तौर पर हो कोई आंदोलन

वरिष्ठ राजनीतिक जानकार ओमप्रकाश सारस्वत कहते हैं पहलवानों के मामले में तूल पकड रहे मामले में जब भारतीय जनता पार्टी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है तो उस दौर में बृजभूषण शरण सिंह की अयोध्या में संत समाज की ओर से की जाने वाली रैली एक तरह से खुली चेतावनी और खुला शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा था। सूत्रों का कहना है यही वजह थी कि सरकार भी अंदर खाने इस पूरे मामले में चल रही कानूनी प्रक्रिया के चलते कोई बड़े विवाद और बड़े आंदोलन के समर्थन के पक्ष में नहीं थी। वही बृजभूषण शरण सिंह से जुड़े करीबी नेताओं का कहना है कि जो कानूनी प्रक्रिया चल रही है उसी को ध्यान में रखते हुए बृजभूषण शरण सिंह और संत समाज ने इस रैली को स्थगित करने का फैसला लिया है। हालांकि सियासी गलियारों में अंदर खाने चर्चा यही है कि सरकार इस मामले में बेवजह पार्टी को शामिल करके कोई बड़ा विवाद नहीं खड़ा करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक यही वजह रही कि बृजभूषण शरण सिंह को इस मंशा से अवगत कराया जा चुका था। यही वजह रही कि खुद सांसद ने इस रैली के स्थगन की बात कही।

बृजभूषण शरण के लिए अयोध्या रही है बड़ी राजनैतिक जमीन

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस पूरे आंदोलन की जो जमीन तैयार की जा रही थी वह भी सियासी रूप से बड़ी उर्वरा मानी जा रही थी। हालांकि यह जमीन किस तरह से सियासी करवट बदलती इसका अंदाजा फिलहाल किसी को नहीं लग रहा था। राजनीतिक जानकार जटाशंकर सिंह कहते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के लिए अयोध्या पहले भी राजनैतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण जगह रही है। वो कहते हैं इसके पीछे की वजह यही थी कि राम जन्म भूमि के आंदोलन में बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी सियासी जमीन यहीं पर मजबूती से तैयार की और खुद को न सिर्फ संघ बल्कि भारतीय जनता पार्टी के बड़े और कद्दावर नेताओं के बीच में अच्छी पैठ के साथ शामिल भी किया। जानकारों का मानना है कि यही वजह थी कि जब भी किसी बड़े आंदोलन की बात होती थी तो बृजभूषण शरण सिंह हमेशा अयोध्या को ही चुनते थे।

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