Health alert those who do not sweat are more at risk of heat stroke: digi desk/BHN/इंदौर/ धूप में जाने से शरीर का तापमान बढ़ता है और जब पसीना आता है तो वह शरीर के तापमान को नियंत्रित कर देता है। यदि पसीना नहीं बहे तो तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता और बुखार आ जाता है। इसे आम बोलचाल में लू लगना कहते हैं। इन दिनों गर्मी के तेवर तीखे होते जा रहे हैं और लू की चपेट में कई लोग आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सावधानी बरतकर लू की चपेट में आने से बचा जा सके।डा. धर्मेंद्र झंवर बताते हैं कि तेज गर्मी पड़ने पर हीट सिनकोप, हीट एक्जाशन, हीट हाइपर पायरेक्सिया और हीट स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। लू लगने पर रक्त से भी पानी की मात्रा कम हो जाती है जिसके फलस्वरूप रक्त गाढ़ा हो जाता है। रक्त के गाढ़ा होने से उसमें थक्के जम जाते हैं और यह थक्के हृदय, गुर्दे या मस्तिष्क में भी जमा हो जाते हैं। रक्त के थक्के जमा होने से इनके क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
लू से बचने का तरीका
लू से बचने का सबसे बेहतर तरीका है कि शरीर में पानी और नमक की कमी न होने दें तथा तेज धूप के सीधे संपर्क में आने से बचें। लू की चपेट में आने वाले मरीजों में से सबसे ज्यादा गर्भवति, बच्चे और 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग होते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को पसीना नहीं आता इसलिए उन्हें भी खतरा अधिक रहता है।
कमजोरी महसूस होना, शरीर का तापमान बढ़ना, आंख में जलन होना, उल्टी-दस्त लगना, पेशाब कम आना, सिर दर्द, चक्कर आना, नाक से खून बहना लू लगने के लक्षण हैं। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक धूप में जाने से बचें। भोजन में रसीले फल, सलाद, नींबू, दही, छाछ, नारियल पानी, नमक, इलेक्ट्राल और पानी का उपयोग सामान्य से अधिक मात्रा में करें। गर्मी में सामान्य से तीन गुना अधिक पेय पदार्थों का सेवन करें।