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दगाबाज दिलदार…!

शादीशुदा महिला से न केवल अंधा प्रेम किया बल्कि उसके पति से झगड़ा कर अपने घर भी ले आया. परिवार का दबाव बढ़ा तो ब्याह किसी और से रचा लिया. अब घर में पहले से शादीशुदा प्रेमिका और पत्नी दोनों रहने लगी. वैसे ही जैसे एक म्यान में दो तलवार संभव नहीं? फिर एक दिन उसने शादीशुदा प्रेमिका को…………

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ वह उम्र की ऐसी दहलीज पर था कि उसके जवानी की कश्ती हिचकोले खा रही थी. उसकी इस कश्ती को अपने से उम्र में बड़ी एक शादी शुदा महिला के पास आकर किनारा मिला. वह प्रेम में इतना अंधा हो चुका था कि उसने महिला के पति से झगड़ा भी किया और एक रात उसने महिला को उसके बच्चे समेत अपने घर ले आया. हंसी-ख़ुशी रिश्ता और घर चल रहा था कि एक दिन उसने किसी और से शादी कर ली. अब भगा कर लाई शादीशुदा प्रेमिका और पत्नी के बीच वह लट्टू बन गया. प्यार बंटता देख प्रेमिका और उसके बीच रोज तू-तू- मैं- मैं भी होने लगी. पत्नी और अपने बीच के इस कंटक को उसने आखिरकार एक दिन हटा ही दिया.

वारदात मध्य प्रदेश के सतना जिले की है. ज़िला मुख्यालय से तकरीबन 90 किमी दूर अमदरा पुलिस स्टेशन में आने वाले रैगवां गांव की है. यहां महिला की लाश और एक बच्चा मिलने के एक दिन पहले रात को एक जीप और कार की भिड़ंत होती है. जीप सवार नहर के रास्ते भाग जाते हैं और कार सवार इसकी सूचना थाना को देते हैं. रोजमर्रा जैसी दुर्घटना जान कर पुलिस आवश्यक कार्यवाही करती है. इस घटना के बाद यानि 6 जुलाई 2021 को अमदरा थाना स्टाफ अपना काम निपटा रहा था कि अचानक टेलीफोन की घंटी बजी. फोन में पीछे से आवाज आई कि सिंहवासिनी मंदिर में दो साल का एक बच्चा काफी देर से रो रहा है. अमदरा पुलिस सक्रियता के साथ उस बच्चे तक पहुंची. उसे थाना ले आई. नहलाया-धुलाया और खाना भी खिलाया, लेकिन मन ही मन यह प्रश्न उठ रहे थी कि आखिर ये बच्चा किसका है. कौन है जो छोड़ गया. इस बात की तफ्तीश चल ही रही थी कि एक बार फिर अमदरा थाना का टेलीफोन घनघना उठी. दूसरी तरफ से जो सूचना मिली पुलिस सन्न रह गयी. सूचना थी कि झाड़ियों के पास किसी महिला की रक्त रंजित लाश झाड़ियों में पड़ी है. पुलिस देर नहीं की. थाना प्रभारी हरीश दुबे अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. इधर से मैहर की अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) हिमाली सोनी भी पहुंच गईं. अमदरा पुलिस साथ में उस बच्चे को भी ले आई थी. बच्चा महिला की लाश को देखते ही मम्मी…मम्मी कह कर रोने लगा. यह देख पुलिस भी भौंचक्की रह गयी। बच्चे से बहला फुसला कर पुलिस ने पूछा कि मम्मी को किसने मारा है तो दो साल के बच्चे ने जवाब दिया “पापा ने मारा है।”

दो साल के राज ने मां की लाश देख कर जिस तरह से रोना शुरू कर दिया था उससे पुलिस का माथा भी ठनक रहा था. पुलिस अब तक यह समझ चुकी थी कि जीप का महिला की लाश से कोई न कोई कनेक्शन जरूर है. पुलिस ने बड़ी बारीकी से कार और जीप की जांच की. जीप में बच्चे के जूते, बिखरी चूड़ियां मिली. अब तक पुलिस को पूरा मामला समझ आ गया था कि इस जीप, बच्चे और महिला की लाश के बीच कोई न कोई कनेक्शन जरूर है और यह कनेक्शन पुलिस की सोच जैसा ही निकला. आरोपी गिरफ्त में हैं. जो लाश मिली थी वह मेमबाई आदिवासी (32 वर्ष) की थी। मेमबाई कटनी जिला के गांव रीठी की रहने वाली थी.

कहानी शुरू होती है 2 साल पहले से जब अक्की को मेमबाई भा गई थी. मेमबाई अभी जवानी के शबाब में थी हालांकि उसकी शादी हो चुकी थी और तीन बच्चे भी थे लेकिन कहते हैं कि प्यार अंधा होता. अक्की भी मेमबाई के प्यार में इतना मतान्ध था कि उसे तीन बच्चों की माँ भी कमसिन लग रही थी. अक्की की कमाई मेमबाई के पति से काफी ज्यादा थी. यही कारण था कि मेमबाई भी अक्की के नयनों से अपने नैना मिला लेती थी. अक्की का पूरा नाम अखिलेश यादव है. वह रीठी गांव के सिंघईया टोला में रहता था. मेमबाई के पति गोविंद प्रसाद आदिवासी का मकान रीठी थाना के गांव रीठी में बना हुआ था. अक्की एक हॉस्पिटल की एम्बुलेंस चलता था. इसी कारण अक्की अक्सर उसी गली से गुजरता जहां मेमबाई का परिवार रहता था. इसी आने जाने में बात बढ़ी, परवान चढ़ी और आँखों के रास्ते दोनों एक दूसरे के दिल में उतर गए. इनके बीच कई बार जिस्मानी संबंध भी बने. यह तब होता जब गोविंद दिहाड़ी के लिए बाहर जाता. एम्बुलेंस से अक्की की कमाई बढ़िया हो जाती थी लेकिन मेमबाई का पति गोविंद प्रसाद दिहाड़ी मजदूर था. रोज कमाता रोज खाता और परिवार को खिलाता. इस बात से मेमबाई झल्ला जाती थी। दिहाड़ी मजदूर की पत्नी और तीन बच्चों की मां मेमबाई का मन अक्की की ओर इसलिए भी चला जा रहा था कि वह अभी बांका नौजवान था और गोविंद से उसकी कमाई भी अच्छी थी.

रोजाना मेमबाई, दिहाड़ी कर लौटे गोविंद से झगड़ा करती.

घर का दरवाजा खोलते ही मेमबाई अपना मुंह बनाती और कोसती “मैं तो केवल बच्चे पैदा करने की मशीन हूँ। न सुख मिल रहा न सुकून। कब तक सहूँ”.

गोविंद मजदूर था लेकिन समझदार भी। वह पलट कर कभी जवाब नहीं देता.

कई बार चिढ़ाने के लिए मेमबाई से इतना कहता कि ” जा चली जा, जहां सुख मिले और चैन भी” .

उसे क्या पता था कि उसका ये हंसी मजाक एक दिन सच हो जाएगा. लगभग 2 साल पहले पति की दिहाड़ी और फटेहाल ज़िंदगी को छोड़ कर मेमबाई अपने आशिक़ अखिलेश के साथ चली आई. मेमबाई ने बेटे राज को भी साथ ले लिया था और दो बेटियों को बाप के भरोसे छोड़ दिया.

दिहाड़ी मज़दूर पति से बेवफाई कर आई मेमबाई अपने दिलदार अखिलेश के साथ कटनी के भट्टा मोहल्ला में एक किराये के मकान में अपनी गृहस्थी बसा ली. अखिलेश की कमाई से मेमबाई के कई सपने पूरे हुए. साथ ही वह अपने दो साल के बेटे राज के लिए भी ख्वाब बुनने लगी। अखिलेश भी माशूका के हाथों में अपनी महीने भर की कमाई रख देता था. इससे अखिलेश के माता-पिता काफी खफा थे. वह यह नहीं चाहते थे कि बेटा किसी शादीशुदा महिला (जो उसकी प्रेमिका थी) के साथ रहे. इसके बाद भी अखिलेश रह रहा था लेकिन माँ-बाप के आगे अक्की की इस बार एक न चली. उसे आखिरकार ब्याह रचाना पड़ गया. अक्की ने लगभग एक माह पहले ही रुपा यादव से ब्याह कर लिया। रुपा से ब्याह कर लेने से अखिलेश के माता-पिता खुश हो गए थे लेकिन अखिलेश की जिंदगी में तो तूफान आने वाला था. वह प्रेमिका और पत्नी के बीच के संबंधों को लेकर चिंता में रहने लगा और मेमबाई को भी लगने लगा था कि उसके बुने सपने बिखर जाएंगे। इस पर अखिलेश और मेमबाई के बीच अक्सर झगड़ा होने लगा. अखिलेश ने इस मामले को लेकर अपनी मासिक कमाई 10000 से आधा-आधा दोनों को देने लगा. इसके बाद भी मेमबाई नहीं मान रही थी. काम से थका हारा अखिलेश घर आता तो मेमबाई के तल्ख सुर फूट पड़ते.

मेमबाई पुरानी बातों को लेकर अखिलेश को ताना कसती

“काहे लाये थे पहले, पहले तो हमारा रूप ही भाता था, अब घर में सुंदरी ले आये हो तो हम बंदरिया लग रहे हैं।”.

अखिलेश इन तानों पर प्रतिक्रिया देता

“जो मिलता है उसमें आधा- आधा इसलिए ही कर दिए हैं। इतने में ही काम चलाना होगा। हम घर से भगा तो नहीं रहे।” .

इस तरह से दोनों के बीच रोजाना झगड़ा होता. अखिलेश टूट रहा था. अब अखिलेश के परिवार वाले भी उस पर दवाब बनाने लगे थे. उसकी पत्नी का भी पारा चढ़ने लगा था. अखिलेश ने भी मन ही मन ठान ली थी कि अब मेमबाई को सबक सिखाना पड़ेगा. फिर एक दिन अखिलेश प्लानिंग करता है. तीन लोगों को और बुलाता है। इनके साथ वह मैहर की माँ शारदा के दर्शन करने का प्लान बनाता है. इस प्लान में सोहन लोधी, अजय यादव और एक नाबालिग बालक को शामिल करता है.

इसके बाद एक दिन वह घर पहुंचता है इससे पहले की मेमबाई रोज की तरह ताने कसना शुरु करती अखिलेश बोल पड़ा

“चलो, एक दिन मैहर की शारदा माँ के दर्शन कर आते हैं। वैसे भी इस समय बहुत लोग जा रहे हैं”.

मेमबाई के चेहरे में थोड़ी मुस्कान बिखरी बोली

” मैं भी सोच रही थी लेकिन तुम जितना खर्च दे रहे हो उससे पेट भरना मुश्किल है”.

अखिलेश ने कहा ” मंदिर-वन्दिर जाने से पहले मन को पवित्र कर के जाना चाहिए। इससे भगवान भी मन से आशीर्वाद देते हैं।” .

मेम बाई ने कहा ” ठीक है फिर कल ही चलो”.

अखिलेश तो जैसे तैयार ही बैठा था बोला ” तैयार हो जाना और राज को भी ले लेना”.

इसके बाद दोनों सोने चले गए. मेमबाई तो खुश थी ही अखिलेश की प्लानिंग का एक कदम पूरा हुआ था तो वह मन ही मन प्रसन्न होता जा रहा था.

अगले ही दिन यानि 5 जुलाई 2021 को अखिलेश ने पहले से ही 3195 रुपये किराये में बुक जीप लेकर आता है. उसके साथी भी सवार हो जाते हैं. दो मेमबाई के साथ बीच वाली सीट में बैठ जाते हैं और एक पीछे. इनमें से एक को मेमबाई भी अच्छी तरह से पहचानती थी. अखिलेश जीप स्वयं चला रहा था. मैहर पहुंचे लेकिन दर्शन के लिए नहीं गए तो मेमबाई के दिमाग में शक पैदा हुआ. इससे पहले की वह कुछ पूछती. अखिलेश ने जीप को यू टर्न में घुमा लिया। अंधेरा हो चुका था. जीप की पिछली सीट में बैठे अखिलेश के एक साथी ने अपने लोअर का नाड़ा निकाला और पीछे से मेमबाई के गले में फंसा दिया. यह देख बगल में बैठे दो अन्य साथियों ने मेमबाई के हाथ पैर कस लिए. मेम बाई झटपटा रही थी कि लोवर का नाड़ा टूट गया फुर्ती के साथ अखिलेश ने जीप रोकी और रस्सी निकालते हुए बीच वाली सीट की तरफ भागा. जीप का गेट खोलते ही मेमबाई ने बाहर निकलने की कोशिश में कई झटके दिए लेकिन तब तक अखिलेश रस्सी को गले में बांध चुका था. जीप के अंदर झटपताती मेमबाई अंत में हार गई. अखिलेश और उसके साथियों ने गला घोट कर उसे मौत के घाट उतार चुके थे और लाश को राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 में आने वाले गांव रैगवां की झाड़ियों के बीच फेंक कर चंपत हो गए.

6 जुलाई की सुबह 10 बजे अमदरा थाना को सूचना मिली कि सिंहवासिनी मंदिर के बच्चा मिला इसके बाद दोपहर 2 बजे महिला की लाश मिली थी. इस पर सतना पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने अनुविभागीय अधिकारी पुलिस मैहर हिमाली सोनी और अमदरा थाना टीआई हरीश दुबे के नेतृत्व में तीन टीमें बनाई. तीनों टीमें अलग दिशाओं में आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. अमदरा थाना की टीम टीआई हरीश दुबे के नेतृत्व में जीप जिसका परिवहन पंजीयन क्रमांक एमपी 21 सीए 3195 के मालिक राधेश्याम निवासी रीठी थाना रीठी ज़िला कटनी के घर पहुंची। पूछताछ के दौरान उसने किराये से जीप ले जाने वाले का नाम पता बताया. पुलिस टीम तुरंत आरोपी अखिलेश के घर पहुंची. वह घर पर नहीं था. दो अन्य टीमें रैपुरा और जबलपुर में खोज खबर ले रही थीं. अखिलेश के भाई से पुलिस ने पूछताछ की. भाई को विश्वास में लेकर अखिलेश की लोकेशन पुलिस लेती रही. घटना की जानकारी के 24 घंटे में अखिलेश और उसके साथी पुलिस के हाथ लग गए.
अमदरा पुलिस ने अखिलेश यादव (उम्र 25 वर्ष)उर्फ अक्की पिता बद्री प्रसाद यादव निवासी ग्राम सिंघइया टोला थाना रीठी जिला कटनी, सोहन लोधी (उम्र 19 वर्ष)पिता उज्जियार लोधी निवासी ग्राम लोधी मोहल्ला रैपुरा थाना रैपुरा जिला पन्ना, अजय यादव (उम्र 18 वर्ष )पिता कमलेश यादव निवासी ग्राम रैपुरा थाना रैपुरा जिला पन्ना मध्य प्रदेश और नाबालिग अपचारी बालक को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में 24 घंटे के अंदर आरोपियों को गिरफ्तार करने में अमदरा थाना प्रभारी हरीश दुबे, उप निरीक्षक लक्ष्मी बागरी, उप निरीक्षक अजीत सिंह, सहायक उपनिरीक्षक दीपेश कुमार, सहायक उपनिरीक्षक अशोक मिश्रा, कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक दशरथ सिंह, कार्यवाहक सहायक उपनिरीक्षक अजय त्रिपाठी, कार्यवाहक प्रधान आरक्षक 498 अशोक सिंह, आरक्षक 881 जितेन्द्र पटेल, आरक्षक 907 गजराज सिंह, आरक्षक 911 नितिन कनौजिया, आरक्षक 56 अखिलेश्वर सिंह, आरक्षक 61 दिनेश रावत, महिला आरक्षक 1050 पूजा चौहान की भूमिका सराहनीय रही

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