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Parkash Singh Badal: पंचतत्व में विलीन हुए बादल, हजारों लोगों ने नम आंखों से दी विदाई

National last rites of former punjab chief minister parkash singh badal today four districts police deployed: digi desk/BHN/मोहाली/ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पंचत्व में विलीन हो गए हैं। पैतृक गांव बादल में उनका अंतिम संस्कार हुआ। बादल जिस बाग के बागबां थे। उसी बाग की जमीन में पंचतत्व में हुए। बेटे सुखबीर बादल ने उन्हें मुखाग्नि दी। गांव के श्मशान घाट में जगम कम होने के कारण उन्हें उनके ही खेत में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

इससे पहले सुबह घर में प्रकाश सिंह बादल के पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। यहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अंतिम श्रद्धांजलि दी।

मंगलवार को मोहाली में हुआ निधन

95 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार रात करीब पौने 8 बजे मोहाली के अस्पताल में देहांत हुआ था। उन्हें सांस की तकलीफ के बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वे पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने लंबी विधानसभा सीट से लगातार 10 बार चुनाव जीता था।

1947 से की राजनीति सफर की शुरुआत

प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर, 1927 को श्री मुक्तसर साहिब के गांव बादल में हुआ था। उन्होंने गांव के सरपंच से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। तब उन्हें सबसे कम उम्र के सरपंच बनने का खिताब मिला था। पहली बार 1957 में विधायक चुने गए थे। बादल अपने राजनीतिक जीवन में 13 बार लोकसभा व विधानसभा का चुनाव लड़ा। वह एक बार केंद्रीय मंत्री भी रहे।

प्रकाश सिंह बादल ने 11 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का चुनाव जीता। अपने राजनीतिक जीवन में 2022 का विधानसभा चुनाव हारे थे। इस चुनाव में हार के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली थी।

कब-कब CM रहे प्रकाश सिंह बादल

  • 27 मार्च, 1970 को पहली बार मुख्यमंत्री बने और 14 जून, 1971 को उनका पहला कार्यकाल समाप्त हो गया।
  • 20 जून, 1977 से 17 फरवरी, 1980 तक, फिर 12 फरवरी, 1997 से 24 फरवरी, 2002 तक मुख्यमंत्री रहे।
  • एक मार्च, 2007 से मार्च 2017 तक लगातार दो बार मुख्यमंत्री रहे।
  • 1957 में पहली बार विधायक चुने गए।
  • 1969-70 तक वह पंचायत राज, पशुपालन, डेयरी आदि विभागों के मंत्री रहे। 2002 में विपक्षी दल के नेता भी बने।

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