पन्ना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ बाघ-तेंदुओं के शिकार की घटनाओं को लेकर इन दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व चर्चा में है। पिछले दो माह में पार्क एवं आसपास तीन बाघ और दो तेंदुओं का शिकार हुआ है। अब पार्क से एक और वीडियो इंटरनेट मीडिया पर सामने आया है, जिसमें जिप्सी चालक और गाइड पर्यटकों के लिए केन नदी पर बने स्टाप डेम की पाल (पुलिया) पर बाघिन और उसके चार माह के चार शावकों को घेर लेते हैं।
इसके लिए वे पाल के दोनों ओर जिप्सी लगा देते हैं और तीसरी ओर पानी भरा है। बाघिन पहले तो जिप्सी के बगल से निकलने की कोशिश करती है फिर वापस लौटती है।
करीब पांच मिनट तक यही खेल चला, फिर जिप्सी थोड़ी आगे बढ़ाकर बाघिन को निकलने की जगह दी गई। सूचना के अधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने मामले की शिकायत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक से की है।
घटना चार दिन पुरानी बताई जा रही है। पार्क की मडला बीट में केन नदी की किनारे से बाघिन और उसके चार शावक आते दिखाई दिए, तो पर्यटकों से भरी सात जिप्सी दोनों ओर लगाकर पाल को घेर लिया गया। बाघिन नदी से पाल पर चढ़ी, जिप्सी के बगल से निकलने की कोशिश भी की पर भीड़ देखकर शावकों के पास लौट गई।
बाघिन पाल पर घूमती रही और शावक सहमे से खड़े रहे। इस बीच पर्यटक फोटो खींचते और वीडियो बनाते रहे। करीब पांच मिनट बाद पाल के एक ओर से जिप्सी आगे बढ़ाकर बाघिन को निकलने की जगह दी गई। अजय दुबे ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस घटना को गंभीरता से लेना चाहिए। इस मामले में जिम्मेदारों पर अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं हुई है। इससे पहले इसी पार्क से एक ओर वीडियो सामने आया था, जिसमें एक वनरक्षक बाघ के पीछे रास्ते पर दौड़ लगा रहा है।
दुबे का कहना है कि यह वन्यप्राणी नियमों के खिलाफ है। नियम तो यह कहता है कि बाघ-बाघिन से करीब 50 फीट दूरी होना चाहिए। शोर न हो और उसे घेरने की कोशिश तो बिलकुल भी न की जाए। वहीं शावक साथ होने की स्थिति में बाघिन से दूरी होनी चाहिए। शावकों की सुरक्षा के लिए वह हमला भी कर सकती है। दुबे कहते हैं कि जिस तरह से बाघिन को घेरा था, वह हमला कर देती, तो बड़ी घटना हो सकती थी। बता दें कि ऐसे ही घटनाक्रम के चलते वर्ष 2008 में इस पार्क से बाघ समाप्त हो गए थे।