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करौंदिया हार से चिर्रवाह तक पांच अलग-अलग स्थानों पर बाघ, दहशत में किसान

 

युवती पर हमला, भैंस का किया शिकार

tiger in umriya:उमरिया/ बांधवगढ़ के बफर जोन से लगे चिर्रवाह से उमरिया नगर के वार्ड नंबर नौ करौंदिया हार तक लगभग 12 किलो मीटर क्षेत्र में बाघों की लगातार आवाजही ने यहां के किसानों को दहशत में डाल दिया है। किसानों का दावा है कि इस पूरे क्षेत्र में अलग-अलग पांच स्थानों पर पांच बाघ सक्रिय हैं। इस मामले में सामान्य वन मंडल के डीएफओ आरएस सिकरवार का कहना है कि बाघ आया था और घूमकर चला गया। यह उनका क्षेत्र है और वे यहां विचरते रहते हैं। अगर उमरिया नगर का वार्ड नंबर 9 बाघों का क्षेत्र तो फिर शायद वन विभाग के अधिकारियों को जंगल की सीमाओं का या तो ज्ञान नहीं है या फिर वे जानबूझकर यहां रहने वालों के जीवन को संकट में डाल रहे हैं। करौंदिया हार में पिछले एक सप्ताह से बाघ होने के निशान पाए जा रहे हैं लेकिन अभी तक वन विभाग ने इस दिशा में पहुंचकर गंभीरता से बाघ की न तो तलाश की है और न ही लोगों को सुरक्षित रहने के कोई उपाय ही बताए हैं। शनिवार को उमरिया शहर के निकट सक्रिय बाघ ने चिर्रवाह में एक युवती पर भी हमला कर दिया था। इस बात की पुष्टि एसडीओ फारेस्ट आरएन द्विवेदी ने की थी।

उन्होंने बताया था कि बाघ ने जंगल में किसी काम से गई युवती की पीठ पर बाघ ने पंजा मार दिया था जिससे युवती घायल हो गई थी। हालांकि शहर से लगे खेतों में काम करने वाले किसानों का कहना है कि चिर्रवाह में युवती पर हमला करने वाला बाघ दूसरा था क्योंकि यहां रात में भी बाघ ने एक भेंस का शिकार किया है और उसे पूरी तरह से खा लिया है। किसानों का कहना है कि दोनों घटना स्थल में लगभग 10 किलो मीटर का फासला है जिससे यही लगता है कि चिर्रवाह के पास कोई दूसरा बाघ सक्रिय है। वहीं अब एक नई जानकारी यह सामने आ रही है कि चिर्रवाह में ही बाघों का पूरा कुनबा मंडरा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार इस पूरे क्षेत्र में बाघों की संख्या पांच है।

संकट में आ सकता है बाघों का जीवन

शहर के निकट बाघ के सक्रिय होने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों में किसी तरह की कोई हरकत नजर नहीं आ रही है। इससे बाघों का जीवन संकट में आ सकता है। बाघों के जीवन की चिंता किए बिना वन विभाग के लोग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए नजर आ रहे हैं। बाघ जरूर बांधवगढ़ के जंगल से आए हैं लेकिन जहां वे विचर रहे हैं वह भी जंगल ही है इसलिए सभी का दायित्व है कि वे बाघों के जीवन कीरक्षा के लिए प्रयास करें। जबकि हो उलटा रहा है और रेग्युलर फारेस्ट के लोग वन विकास निगम पर और वन विकास निगम के लोग बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर जिम्मेदारी डालने पर लगे हुए हैं। जबकि बाघ के सक्रिय होने के कारण आसपास के किसान बेहद भयभीत हैं और अपने खेतों पर नहीं जा रहे हैं। धमोखर के महामन में अक्टूबर की 17 तारीख को बाघिन 42 और उसके दो शावको की संदिग्ध मौत हो गई थी जिसके बारे में भी यही कहा जा रहा है कि उनके भी गांव के निकट जाने के बाद वन विभाग पूरी तरह से निश्चिंत था।

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