Health tips calcium deficiency can have negative effects on bone heart and brain: digi desk/BHN/इंदौर/ अमूमन माना जाता है कि शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने पर इसका असर केवल हड्डियों पर ही नजर आता है, पर यह पूर्ण सत्य नहीं है। कैल्शियम की कमी दिल और दिमाग पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है। वर्तमान में हाइपोकैल्शियमिया के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। हाइपोकैल्शियमिया एक ऐसी स्थित है जिसमें रक्त में कैल्शियम की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
डा. अभ्युदय वर्मा के अनुसार, शरीर में कैल्शियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने का काम करता है। इसके साथ ही मांसपेशियों के लिए भी यह लाभदायक है। हाइपोकैल्शियमिया होने पर दिल और दिमाग का सामान्य गति से काम करना भी मुश्किल हो जाता है। यही नहीं यह थायराइड की समस्या का कारण भी बनता है।
ये लक्षण दिखे तो अनदेखा न करें
कैल्शियम की कमी शरीर में एक दिन में नहीं आती, बल्कि निरंतर खानपान में लापरवाही के वजह से, पर्याप्त मात्रा में शरीर को कैल्शियम नहीं मिलने से होती है। इसकी कमी होने से शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आने लगते हैं, जैसे हड्डियों में दर्द, जकड़न, थकान, मांसपेशियों में खिंचाव आदि। कमर का झुक जाना, पिंडलियों में अचनाक असहनीय दर्द होना, बालों का झड़ना, दांतों में संक्रमण, नाखून का फटना आदि। यदि लगातार झुनझुनी, थकावट, नसों में खिंचाव (बायठा), मसल क्रैंप हो तो उसे अनदेखा न करें।
उम्र के हिसाब से होती है कैल्शियम की आवश्यकता
- जन्म से छह माह तक के शिशु को प्रतिदिन लगभग 200 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
- सात माह से एक वर्ष तक के बच्चों को रोजाना लगभग 260 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है।
- एक से तीन वर्ष तक के बच्चों की हड्डियों की वृद्धि के कारण उसकी कैल्शियम की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं। उसे रोजाना 700 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
- जब वे किशोर होते हैं तो उनकी कैल्शियम की आवश्यकता अधिकतम होती है।
- 12 से 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर उन्हें प्रतिदिन 1300 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
- जब वे वयस्कता तक पहुंचते हैं, तो उनके शरीर की आवश्यकताओं को प्रतिदिन लगभग 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यक्ता होती है।