Sarva Pitru Amavasya 2022: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ ज्योतिष शास्त्र में कई शुभ और अशुभ योगों के बारे में बताया गया है। ऐसा ही एक योग कालसर्प है। ऐसा माना जाता है कि जिस किसी की भी जन्म कुंडली में ये योग होता है। उसे अपने जीवन कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि कुछ आसान उपायों को करने से इसके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। अगर ये उपाय श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर किए जाएं तो और भी शुभ रहता है। इस बार श्राद्ध पक्ष की अमावस्या 25 सितंबर रविवार को है। इस दिन बुधादित्य, लक्ष्मीनारायण आदि कई शुभ योग बन रहे हैं। इसके कारण इस तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
शिवजी की पूजा करें
यदि आप कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो सर्वपितृ अमावस्या यानी की 25 सितंबर को घर के निकट स्थित किसी भी शिव मंदिर में जाकर महादेव को धतूरा चढ़ाएं। साथ ही 108 बार ओम नमः शिवाय का मंत्र जाप भी करें। इसके बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन का जोड़ा भी शिवलिंग पर चढ़ाएं। इससे आपकी परेशानियां कम हो जाएंगी।
महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप
- श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि पर 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। अगर आप स्वयं ये काम न कर पाएं तो किसी योग्य विद्वान पंडित से भी करवा सकते हैं।
- ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
- उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृताम् भूर्भुवः स्वरों जूं सः हौं ऊँ
राहु केतु के मंत्रों का करें जाप
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में राहु केतु की स्थिति के कारण कालसर्प योग बनता है। इस अशुभ योग के प्रभाव को कम करने के लिए सर्व पितृ अमावस्या पर राहु केतु के मंत्रों का जाप करें। आप स्वयं मंत्र का जाप न करें तो किसी योग्य पंडित से करवाएं। किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर राहु केतु के रत्नों की अंगूठी भी पहन सकते हैं।
चांदी के नाग नागिन नदी में प्रवाहित करें
25 सितंबर रविवार को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर किस नदी में स्नान करके चांदी से बना नाग नागिन का जोड़ा प्रवाहित कर दें। इससे भी कालसर्प दोष दूर होता है। नदी में प्रवाहित न कर पाएं तो किसी शिवलिंग पर चढ़ा दें। ऐसा करते समय भगवान से अपनी परेशानी दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
नवनाग स्त्रोत का करें पाठ
अमावस्या की सुबह स्नान आदि करने के बाद पहले नाग देवता की पूजा करें और बाद में उसी स्थान पर बैठकर नवनाग स्त्रोत का पाठ करें। यदि नवनाग स्त्रोत उपलब्ध न हो तो आगे बताए गए मंत्र का जा भी कम से कम 108 बार करें।
ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात्।