Shukra Gochar 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ शुक्र ग्रह को सुख-संपत्ति, ऐश्वर्य और वैवाहिक सुख का कारक माना जाता है। इनके गोचर का असर जातकों पर फौरन दिखने लगता है, क्योंकि शुक्र कमजोर हो तो किसी काम में सुख नहींं मिलेगा, व्यक्ति की जीवन नीरस हो जाएगा और परेशानियां बढ़ जाएंगी। इसलिए ज्योतिष में शुक्र के गोचर का विशेष ध्यान रखा जाता है। जातकों को जीवन में भौतिक व सांसारिक सुख प्रदान करने वाले शुक्र देव शनिवार 24 सितंबर 2022 को रात 8 बजकर 51 मिनट पर अपने मित्र ग्रह बुध की राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। इस स्थिति में शुक्र 18 अक्टूबर तक रहेंगे और फिर उसके बाद अपनी स्वराशि तुला में पुनः गोचर कर जाएंगे।
शुक्र की विशेषता
शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना जाता है। वहीं भरणी, पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा शुक्र के ही आधिपत्य वाले नक्षत्र होते हैं। शुक्र मीन राशि में उच्च के और कन्या राशि में नीच के होते हैं। वहीं तुला इनकी मूल त्रिकोण राशि कहलाती है। ग्रहों में से बुध और शनि से उनकी मित्रता होती है, जबकि सूर्य और चंद्र इनके शत्रु माने गए हैं। अब कन्या राशि एक तरफ शुक्र के मित्र ग्रह, बुध की राशि है तो दूसरी तरफ ये शुक्र की नीच राशि भी मानी जाती है। ऐसे में नीच राशि में शुक्र का गोचर से किस तरह की युतियां बन रही हैं, आईये जानते हैं।
कन्या राशि में त्रियुति योग
24 सितंबर को जब शुक्र जब बुध की राशि कन्या में गोचर करेंगे, तब वहां पहले से मौजूद सूर्य और वक्री बुध के साथ उनकी युति होगी। इस कारण कन्या में शुक्र, सूर्य और बुध का त्रियुति योग बनेगा। तीन ग्रहों का ये योग कई जातकों में अहंकार की भावना भर देगा, उनकी भोग की इच्छा वृद्धि करेगा और वक्री बुध के कारण बुद्धि भ्रष्ट होने की संभावना है। ऐसे में प्रेम संबंधों पर इस योग का बहुत बुरा असर पड़ सकता है। सभी राशि के जातकों को इसके लिए विशेष सचेत रहना चाहिए और विपरीत लिंग के साथी से कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए।
राहु-शुक्र के बीच षडाष्टक योग
शुक्र जब कन्या में अपना गोचर करेंगे, तब मेष राशि में मौजूद राहु के साथ उनका षडाष्टक संबंध बनेगा। इसे सबसे अशुभ योगों में एक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शुक्र और राहु के बीच गुरु-शिष्य का संबंध होता है। ऐसे में षडाष्टक योग समाज में आपकी छवि खराब कर सकता है। वहीं आपका पूरा ध्यान भोग-विलास और काम-वासना पर रहेगा। इससे आपका ध्यान भटक सकता है और काम का नुकसान हो सकता है। राहू का दृष्टि आपको गलत कार्य, व्यसन आदि की ओर प्रेरित करेगी। इनसे बचें, अन्यथा बुरी लत लग सकती है।
केतू के साथ द्वि-द्वादश संबंध
शुक्र जब अपनी नीच राशि कन्या में गोचर करेगा, तो उस वक्त तुला राशि में केतू मौजूद होगा। यहां केतू के साथ शुक्र का द्विर्द्वादश संबंध बनेगा। इस अशुभ योग से आपके खर्चों में वृद्धि होगी। किसी अफेयर या शराब आदि पर आप पैसे उड़ा सकते हैं। इसकी वजह से वैवाहिक जीवन में भी तनाव आ सकता है। विवाहित जातक किसी अफ़ेयर के चक्कर में धन खर्च कर सकते हैं। इसे लेकर सावधान रहें, वरना किसी स्कैंडल में फंस सकते हैं और बड़ी सामाजिक और आर्थिक हानि हो सकती है।
गुरु-शुक्र में समसप्तक दृष्टि संबंध
24 सितम्बर को जब शुक्र कन्या में गोचर करेंगे, तब मीन में वक्री गुरु के साथ उनका समसप्तक दृष्टि संबंध बनेगा। ऐसे में वैदिक ज्योतिष के अनुसार भले ही गुरु और शुक्र दोनों ही शुभ ग्रहों की श्रेणी में आते हो, लेकिन इन दोनों की आपस में शत्रुता होती है। ऐसे में इन दोनों ग्रहों के समसप्तक में आ जाने के कारण ज्यादातर जातकों का वैवाहिक सुख और दांपत्य सुख प्रभावित होगा। यदि विवाह में किसी कारणवश बाधा आ रही है, तो बहतर होगा कि अभी आप कुछ दिन और इंतजार करें।