Ganesh Chaturthi 2022: digi desk/BHN/ गणेश चतुर्थी पर्व आज से शुरू हो गया है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत हो जाती है और 10 दिनों तक गणेश उत्सव देशभर में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। भगवान गणेश हिंदू धर्म में पहले पूजनीय देवता है और इसलिए भगवान गणेश की मूर्ति के स्थापना के समय भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। भगवान श्री गणेश को ऋद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का देवता माना जाता है। भगवान गणेश संकट, कष्ट, दरिद्रता और रोगों से मुक्ति भी दिलाते हैं इसलिए हिंदू ज्योतिष के मुताबिक गणेश चतुर्थी के दिन इस मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना भूलकर भी न करें –
इन मुहूर्त में न करें गणपति की स्थापना-
राहुकाल – दोपहर 12:21 से दोपहर 01:57 बजे तक।
यमगंड – 07:34 सुबह से 09:10 सुबह तक।
गुलिक काल – सुबह 10:46 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक।
दुर्मुहूर्त – सुबह 11:56 से दोपहर 12:47 बजे तक।
तब्बू – 07:57 सुबह से 09:35 सुबह तक।
भद्रा – 05:58 पूर्वाह्न से 03:22 अपराह्न और 05:48 पूर्वाह्न, 01 सितंबर से 07:24 पूर्वाह्न, 01 सितंबर
अशुभ समय में होती है इस समय की गणना
ज्योतिष के मुताबिक राहुकाल, यमगंद, गुलिक काल, दुर्मुहूर्त, वर्ज्य और भद्रकाल की गणना अशुभ समय में की जाती है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है। ज्योतिष के मुताबिक यदि अशुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है तो शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।
गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें पूजा
सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्य से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद कर तांबे, सोने, चांदी या मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित करें। अब गणेश जी को नए साफ वस्त्र अर्पित करें और सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद 21 दूर्वा दाल चढ़ाने के बाद उन्हें 21 लड्डू चढ़ाएं और 5 लड्डू भगवान का प्रसाद अर्पित करें और बचे हुए लड्डू गरीबों में बांट दें। शाम के समय विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने के बाद गणेश चतुर्थी कथा और गणेश चालीसा का पाठ करना अच्छा होता है। गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें। व्रत में शाम के समय भोजन करना चाहिए।