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Arpita Mukherjee: ED की पूछताछ से पूरी तरह टूट चुकी है अर्पिता, सामने आयीं फूटफूट कर रोने की तस्वीरें 

Arpita mukherjee 4 cars laden with notes missing from house sex toys recovered from partha chatterjee intimate friend flat: digi desk/BHN/ पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला (Bengal SSC Scam) सामने आने के बाद से ममता सरकार मंत्री रहे पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता चटर्जी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। Arpita Mukherjee को लेकर ईडी का दावा है कि मंत्री रहते पार्थ चटर्जी ने अपनी पूरी काली कमाई को इनकी जरिए ही ठिकाने लगाया। ताजा खबर यह है कि ED द्वारा हिरासत में ली गईं अर्पिता मुखर्जी को शुक्रवार को मेडिकल चेकअप के लिए लाया गया था। इस दौरान जब उन्हें गाड़ी से निकाल कर दफ्तर ले जाया जा रहा था तो Arpita Mukherjee फूटफूट कर रोने लगी।

Arpita Mukherjee के फ्लैट से मिली आपत्तिजनक चीजें

Arpita Mukherjee के बंगले से चार लग्जरी कारें गायब बताई जा रही हैं। आशंका है कि इन कारों के जरिए नोटों को ठिकाने लगाने की कोशिश की जा रही है। ईडी ने अपनी जांच तेजी कर दी है। वहीं एक और बड़ा खुलासा यह हुआ है कि Arpita Mukherjee के एक फ्लैट से जांच अधिकारियों को आपत्तिजनक चीजें मिली हैं जिनमें सेक्स टॉय भी शामिल हैं।

ईडी सूत्रों के मुताबिक. गिरफ्तार अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से कई सेक्स टॉय बरामद हुए हैं। चांदी का एक कटोरा भी मिला। चांदी के बर्तन ज्यादा महंगे नहीं होते, लेकिन इस चांदी के कटोरे का एक और सामाजिक पक्ष है। बंगालियों में नवविवाहित जोड़े को चांदी का कटोरा दिया जाता है। यह प्राचीन परंपरा है, जिसमें दीप प्रज्ज्वलित कर आने वाली पीढ़ी को दुनिया के सामने लाने की कामना की गई है। इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि अर्पिता के फ्लैट में ये सब चीजें क्यों आईं।

पार्थ चटर्जी पर नरम रुख, ममता बनर्जी पर उठे सवाल

शिक्षक भर्ती घोटाले में फंसे पार्थ चटर्जी को सभी मंत्री और पार्टी पदों से हटाने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को छह दिन का समय लगा। नोटों के ढेर से लेकर कई किलोग्राम सोना, विदेशी मुद्रा और करोड़ों की अचल संपत्ति के दस्तावेज मिलने के बाद भी पार्थ के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही थी। इसको लेकर भाजपा, माकपा और कांग्रेस मुखर थीं, लेकिन तृणमूल के भीतर भी सवाल उठ रहे थे। इसके बावजूद ममता बुधवार तक पार्थ के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में नजर नहीं आईं। इसका प्रमाण हुगली में एक कार्यक्रम में दिया गया उनका भाषण भी है। दरअसल ममता पार्थ पर कार्रवाई को लेकर असमंजस में थीं और उनके द्वारा पूर्व में लिए गए फैसले आड़े आ रहे थे।

शायद ममता को डर था कि अगर कार्रवाई की गई तो लोगों को यकीन नहीं होगा कि उनकी पार्टी के पुराने नेता भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। अब तक यह आरोप कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है, गलत साबित नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि शुक्रवार को जब छापेमारी हुई तो तृणमूल के तीन मंत्रियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार पर हमला बोला, लेकिन जैसे ही पहले 21.90 करोड़ रुपये मिले, तृणमूल बचाव में आ गई। बुधवार को दूसरे फ्लैट से 27.90 करोड़ मिलते ही सत्ता पक्ष पर दबाव बढ़ने लगा। ऐसे में ममता के पास और कोई रास्ता नहीं बचा था और आखिरकार कार्रवाई करनी पड़ी।

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