MP The three real sisters lived together like friends gave their lives together: digi desk/BHN /खंडवा/ ग्राम कोटाघाट में तीन सगी बहनों ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। इस घटना से गांव में सनसनी फैली हुई है। घटना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। पता चला है कि सिंगोट बाजार से घरेलू सामान के साथ ही रस्सी खरीदकर लाई गई थी। इसी रस्सी से तीनों बहनों ने फांसी लगा ली। बाजार से देर से आने पर भाई ने सोनू को फटकार लगाई थी। इसके चलते सोनू, सावित्री और ललिता ने फांसी लगा ली। पुलिस ने सोनू का मोबाइल जब्त किया है। संभवत: इस मोबाइल से ही इस सनसनीखेज मामले का रहस्य उजागर हुआ है। पुलिस हर एक बिंदू पर बारीकी से जांच करने में लगी हुई है।
कोटाघाट गांव निवासी सोनू, सावित्री और ललिता के बीच गहरा जुड़ाव था। ये तीनों आपस में दोस्त की तरह रहती थीं। तीनों की आपस में जमती थी। इसके चलते साथ में रहना और एक ही कमरे में तीनों सोती थीं। कपड़े पहनने का तरीका भी एक सा था। अक्सर एक ही रंग के कपड़े भी वे पहनती थीं। सावित्री की शादी होने के बाद भी तीनों की रोज मोबाइल पर बात करती थीं। सोनू के मोबाइल में सबसे अधिक तीनों की फोटो हैं। भगोरिया बाजार से लेकर घर तक की तीनों की साथ में ही फोटो हैं।
सावित्री को सोमवार उसके ससुराल से सोनू ही लेकर आई थी। वह बाइक पर बहन के ससुराल गई थी। यहां उसे अपने साथ ले आई। इधर इस मामले में अतिक्ति पुलिस अधीक्षक सीमा अलावा ने भाई और पति के बयान दर्ज किए हैं। तीनों के शव दोपहर में पुलिस ने परिवार को सौंप दिए थे। सावित्री के शव को जिला अस्पताल से सुसराल वाले ग्राम खड़कली ले गए। यहां उन्होंने सावित्री का अंतिम संस्कार किया। इसी तरह से सोनू और ललिता का शव परिवार के लोग कोटाघाट मानपुरा में लेकर गए। दोनों की एक साथ शव यात्रा निकाली गई। यहां स्थानीय घाट पर एक साथ दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
सिंगोट से खरीदी थी रस्सी
मंगलवार को दोपहर में सोनू अपनी बाइक पर बैठाकर अपनी छोटी बहन सावित्री और ललिता को लेकर सिंगोट आई थी। यहां सिंगोट में लगे हाट में सोनू ने घर का कुछ सामान खरीदने के साथ ही एक रस्सी भी खरीदी थी। शाम में तीनों बाइक से घर पहुंचे थे। सोनू एसएसएन कालेज की छात्रा थी। वहीं ललिता ने पढ़ाई छोड़ दी थी। वह घरेलू काम के साथ ही खेत में मजदूरी भी करने जाती थी।
होस्टल में की सर्चिंग
सोनू खंडवा में होस्टल में रह रही थी। उसके मोबाइल पर होस्टल की छात्राओं का ग्रुप बना हुआ। उसके मोबाइल से इस ग्रुप की जानकारी निकालने के बाद पुलिस ने होस्टल का पता लगाया। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीमा अलावा मोघट टीआइ ईश्वर सिंह चौहान को साथ लेकर होस्टल पहुंचीं। यहां छात्राओं से सोनू के कमरे की जानकारी लेने के बाद कमरे में सर्चिंग की गई। छात्राओं से भी सोनू के बारे में पूछताछ की गई।
देर से आने पर भाई से हुआ था विवाद
सिंगोट बाजार से सामान रखरीदकर तीनों बहनें शाम में करीब सात बजे घर पहुंची थीं। देर से आने पर भाई भुरू ने तीनों को डाटा था। इसे लेकर भाई और बहनों के बीच विवाद होने की बात सामने आ रही है। भाई के डांटने के बाद तीनों कमरे में चली गई थीं। बताया जाता है सोनू और सावित्री को भुरू ने जमकर फटकार लगाई थी। इससे तीनों गुस्से में थीं। संभवत: इस वजह से भी तीनों द्वारा आत्मघाती कदम उठाने की बात सामने आ रही है। पुलिस इस बिंदू पर भी जांच कर रही है।
एक साथ निकली तीनों की शव यात्रा
दोपहर में पुलिस ने पोस्टमार्टम बाद तीनों के शव परिवार को सौंप दिए थे। सावित्री के शव को ससुराल वाले अपने गांव खड़कली लेकर गए। सोनू और ललिता के शव का कोटाघाट मानपुरा ले जाया गया। इस दौरान उनके साथ जावर थाने के पुलिसकर्मी थी साथ रहे। गांव के स्थानीय घाट पर सोनू और ललिता का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इसी तरह से सावित्री का अंतिम संस्कार खड़कली में हुआ।
मामा की लड़की ने लगाई थी इसी पेड़ से फांसी
अपने घर के बाहर कुछ दूरी पर सोनू, सावित्री और ललिता ने जिस पेड़ से फांसी लगाई है। वह गांव में चर्चा में है। इस पेड़ से दो से तीन साल पहले भी एक युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। यह युवती सोनू के मामा की लड़की है। ममेरी बहन फांसी का फंदा गले में डालकर इस पेट से लटक गई थी। हालांकि उसकी जान बच गई थी। परिवार के लोगों ने उसे बचा लिया था। इस घटना के बाद गांव में पेड़ को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।
दो दिन पहले ही घर आई थी सावित्री
भाई भुरु ने बताया कि बहन सावित्री की शादी मई माह में हुई थी। सोमवार को वह सावित्री जिरोती पर्व मनाने के लिए घर आई थी। मंगलवार को रात में सावित्री और बहन सोनू तथा ललिता और परिवार के अन्य लोगों ने साथ में बैठकर खाना खाया। इसके बाद सभी लोग सोने चले गए।
कुछ देर बाद मां की नींद खुली तो देखा कि घर में सावित्री, सोनू और ललिता नहीं थी। बाहर जाकर देखने जाने लगी तो दरवाजा भी बाहर से बंद था। उसने जब बाहर आकर देखा तो कुछ दूर तीनों बहनें फांसी के फंदे पर लटकी हुई थीं। बाहर जाने के बाद तीनों ने दरवाजा बंद कर दिया था। इसके बाद मां ने उसे उठाया और बहनों के नहीं होने की जानकारी दी। इसके बाद वह घर के पीछे के दरवाजे को खोलकर बाहर गया और बहनों को तलाशने लगा। टार्च की रोशनी में घर से कुछ दूर एक पेड़ पर देखा तो तीनों बहनें फांसी के फंदे पर लटकी हुई थी। एक ही रस्सी के फंदे से तीनों ने फांसी लगा ली थी।